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DU को हाईकोर्ट की फटकार, पूछा कब जारी होगा ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट - दीक्षा सिंह

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि उस मॉक टेस्ट का क्या मतलब जिसमें वास्तविक परीक्षा की प्रैक्टिस नहीं दी जा रही हो. साथ ही पूछा कि ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट कब जारी होगा.

Delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट

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Published : Aug 5, 2020, 5:02 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा है कि वो 10 अगस्त से शुरू हो रहे ऑनलाइन ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट कब जारी करेगा. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वो दृष्टिबाधित दिव्यांग छात्रों को दो पुस्तकें और कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक उपलब्ध कराएं. मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.

हाईकोर्ट ने DU से पूछा- ओपन बुक एग्जामिनेशन का रिजल्ट कब जारी करेंगे
मॉक टेस्ट का क्या मतलब

सुनवाई के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से वकील सचिन दत्ता ने कहा कि छात्रों को पोर्टल पर प्रश्नोत्तर अपलोड करने के अलावा प्रश्नोत्तर को अटैचमेंट के रुप में मेल करने की सुविधा भी दी जाएगी. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या छात्रों को मॉक टेस्ट के दौरान ये सुविधाएं दी जाएंगी. तब दत्ता ने कहा कि नहीं, तब कोर्ट ने दिल्ली युनिवर्सिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि तब मॉक टेस्ट का क्या मतलब है जब जिसमें छात्रों को वास्तविक परीक्षा की सुविधा की प्रैक्टिस करने नहीं दी जाए. तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि छात्रों के पास दोनों विकल्प हैं. या तो वे यूनिवर्सिटी के पोर्टल पर प्रश्नोत्तर अपलोड करें या ई-मेल पर अटैचमेंट के जरिये भेजें. लेकिन कोर्ट दिल्ली यूनिवर्सिटी की इस दलील से संतुष्ट नहीं हुई.

समय बर्बाद करने के लिए DU को फटकार

कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाते हुए कहा कि आप अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं. कई सारी यूनिवर्सिटीज ने परीक्षाएं समाप्त कर ली हैं और आप लॉजिस्टिक के चक्कर में ही पड़े हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता छात्रों का हित है. कोर्ट ने पूछा कि उन छात्रों के साथ क्या होगा जो प्रश्न तो डाउनलोड कर लेंगे लेकिन अपने सभी आंसर शीट अपलोड नहीं कर पाएं. उन छात्रों का क्या होगा जो कुछ विषयों के आंसर शीट नहीं भेज पाएं. तब दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा कि उन्हें आफलाइन परीक्षा की सुविधा दी जाएगी. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि जो छात्र ऑनलाइन परीक्षा में हिस्सा लें उन्हें आफलाइन परीक्षा में हिस्सा लेने की अनुमति भी दी जाए. क्योंकि छात्र परीक्षा के नए तरीके से अनजान हैं. कोर्ट इससे सहमत नहीं हुई, कोर्ट ने कहा कि ये बेतुका है.

हाईकोर्ट ने दिये ये आदेश

कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को आदेश दिया कि हर उस दिव्यांग छात्र को कॉमन सर्विस सेंटर पर लेखक जरुर उपलब्ध कराया जाए जिसने इसके लिए विकल्प चुना है. अगर कोई छात्र आंसर शीट दाखिल करने में कामयाब नहीं होता है तो उसे ऑफलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. अगर किसी छात्र ने आंसर शीट दाखिल की है तो उसे आफलाइन परीक्षा में दोबारा बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि उन्हें अपने रिजल्ट में सुधार करने के लिए पूरक परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है. अगर कोई छात्र ओपन बुक एग्जामिनेशन में शामिल होता है और वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए आवेदन करता है तो उसे अस्थायी दाखिला दिया जाएगा. ओपन बुक एग्जामिनेशन के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रों को डिजिटल सिग्नेचर के जरिये डिग्री देने पर विचार करेगा.

कितने छात्रों ने चुना कॉमन सर्विस सेंटर का विकल्प

पिछले 28 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पूछा था कि कितने छात्रों ने कॉमन सर्विस सेंटर से परीक्षा देने का विकल्प चुना है और उनमें से कितने छात्र दिव्यांग हैं. कोर्ट ने पूछा था कि कितने कॉमन सर्विस सेंटर काम नहीं कर रहे हैं. तब एएसजी चेतन शर्मा ने कहा था कि तीन लाख दस हजार काम कर रहे हैं. तब कोर्ट ने कहा था कि हम जानना चाहते हैं कि कितने कॉमन सर्विस सेंटर काम नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने पूछा था कि कितने दिव्यांग छात्रों ने कॉमन सर्विस सेंटर के लिए आवेदन किया है. पिछले 23 जुलाई को कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि वह पहले मॉक टेस्ट का पूरा डेटा कोर्ट के सामने रखे. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी ये बताए कि कितने स्टूडेंट्स ने मॉक टेस्ट में भाग लिया.



दिव्यांगों की जरूरतों का ध्यान नहीं दिया गया

याचिका दो लॉ स्टूडेंट प्रतीक शर्मा और दीक्षा सिंह ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान सभी स्कूल और कॉलेज ऑनलाइन क्लास करा रहे हैं. लेकिन दिव्यांगजनों खासकर दृष्टिबाधितों को उसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेज के लिए दिव्यांगों की जरूरतों का ध्यान नहीं दिया गया है. इससे उनका शिक्षण कार्य पूरे तरीके से प्रभावित हो गया है. याचिका में कहा गया है कि दिव्यांग छात्रों को क्लास से वंचित रखना शिक्षा के उनके अधिकार का उल्लंघन है.

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