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दिल्ली से छुड़ाए गए बंधुआ मजदूरों की बकाया मजदूरी देने की मांग पर सुनवाई टली

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के 116 बंधुआ मजदूरों की बकाया मजदूरी देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. आज सुनवाई के दौरान श्रम एवं नियोजन मंत्रालय की ओर से इस मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की गई. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दिया.

Hearing postponed on demand of unpaid wages of bonded laborers rescued from Delhi
दिल्ली से छुड़ाए गए बंधुआ मजदूरों की बकाया मजदूरी देने की मांग पर सुनवाई टली

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Published : Feb 8, 2021, 9:11 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के 116 बंधुआ मजदूरों की बकाया मजदूरी देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है. आज सुनवाई के दौरान श्रम एवं नियोजन मंत्रालय की ओर से इस मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की गई. उसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई टाल दिया.

उप श्रमायुक्त बकाया मजदूरी वसूलने की कार्रवाई कर रहे हैं
आज सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से कोई पेश नहीं हुआ. उसके बाद कोर्ट ने प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पिछले 22 जनवरी को सुनवाई के दौरान श्रम एवं नियोजन मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि सभी उप श्रमायुक्त छुड़ाए गए मजदूरों की बकाया मजदूरी वसूलने की कार्रवाई कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने समय देने की मांग की थी, तब कोर्ट ने रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. 16 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने नोटिस जारी किया था.

116 बंधुआ मजदूरों की बकाया मजदूरी वसूलें
याचिका कौम फकीर शाह ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील कृति अवस्थी ने कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता का नाबालिग बच्चे से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी. उनके बच्चे के साथ-साथ 115 बंधुआ मजदूरों की पहले की बकाया मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. इन बंधुआ मजदूरों की मजदूरी के भुगतान की प्रक्रिया दिल्ली सरकार ने शुरु की थी.

2012 में बिहार से दिल्ली आया था परिवार
याचिका में कहा गया है कि 116 बंधुआ मजदूरों की मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता बिहार का रहने वाला है और गरीब परिवार से आता है. वो 2012 में रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आया था. उसके आठ वर्षीय बच्चे को सदर बाजार में काम पर रखा गया था. काम के दौरान उसे नौकरी पर रखनेवाले काफी गाली-गलौच करते थे और अमानवीय तरीके से पेश आते थे.

बच्चे के पुनर्वास के लिए नियोक्ता से वसूली हो
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के आठ वर्षीय बच्चे से मजदूरी करवाना चाइल्ड लेबर प्रोहिबिशन एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, बांडेड लेबर सिस्टम एबोलिशन एक्ट, मिनिमम वेजेज एक्ट समेत दूसरे कानूनों का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट याचिकाकर्ता के बच्चे के पुनर्वास के लिए आरोपी नियोक्ता से वित्तीय सहायता वसूलने की प्रक्रिया शुरू करे.

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