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दिल्ली मास्टर प्लान 2041 को लेकर DDA के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई आज

दिल्ली मास्टर प्लान 2041 के लिए सुझाव और आपत्तियां मंगाने के लिए 45 दिन देने संबंधी DDA के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट आज सुनवाई करेगा. याचिका में सुझाव के लिये 90 दिन की मांग की गई है.

Hearing on  petition against order of DDA regarding Delhi Master Plan 2041
दिल्ली मास्टर प्लान 2041 को लेकर DDA के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई

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Published : Aug 31, 2021, 7:27 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली मास्टर प्लान 2041 के लिए सुझाव और आपत्तियां मंगाने के लिए 45 दिन देने संबंधी DDA के नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी. पिछले 23 जुलाई को कोर्ट ने डीडीए को नोटिस जारी किया था. हालांकि कोर्ट ने नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.

याचिका नेशनल हॉकर फेडरेशन ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अनुराधा सिंह ने कहा कि डीडीए ने 9 जून को मास्टर प्लान एंड जोनल डेवलपमेंट प्लान रुल्स संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया. नोटिफिकेशन में सुझाव और आपत्तियां मंगाने के लिए केवल 45 दिनों का ही समय दिया गया है, जो कि नियमों का उल्लंघन है. याचिका में मांग की गई है कि डीडीए सुझाव और आपत्तियां मंगाने के लिए नियमों के मुताबिक 90 दिनों का समय दे.

मास्टर प्लान 2041: सुझाव, आपत्तियों के लिए 45 दिन के आदेश को चुनौती, नोटिस जारी

याचिका में कहा गया है कि डीडीए का नोटिफिकेशन दिल्ली डेवलपमेंट रुल्स के रुल 5(1)(बी) का उल्लंघन है। इस रुल में साफ कहा गया है कि मास्टर प्लान पर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने के लिए 90 दिनों का समय देना जरुरी है. इसलिए डीडीए की ओर से जारी ये नोटिफिकेशन संविधान की धारा 14 और 21 का उल्लंघन करता है. 45 दिनों का समय देना पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि 2041 तक दिल्ली की जनसंख्या तीन करोड़ के आसपास हो जाएगी. इस आबादी की जरुरतों को पूरा करने के लिए दिल्ली का ये चौथा मास्टर प्लान बनाया जा रहा है. मास्टर प्लान हर किसी को प्रभावित करता है और वो वर्ल्ड क्लास शहर बनाने में अपनी भूमिका अदा करता है.

याचिका में कहा गया है कि पिछले मास्टर प्लान को ठीक से लागू नहीं किया गया. इसकी वजह से दिल्ली के लोगों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ीं. यही वजह रही कि मास्टर प्लान में शहर के वंचित वर्ग का विश्वास नहीं रहा है. इसका जीता-जागता उदाहरण तब देखने को मिला जब कोरोना संकट के दौरान प्रवासी मजदूरों को वापस लौटना पड़ा. मास्टर प्लान में कोई आपात योजना नहीं बनाई गई थी और स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है.

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