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एमजे अकबर के मानहानि की याचिका पर सुनवाई आज, केस ट्रांसफर करने पर होगा फैसला

दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट पूर्व मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई करेगा. जिसमें मामले को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला लिया जाएगा.

Hearing on MJ Akbar defamation petition today
एमजे अकबर की मानहानि की याचिका पर सुनवाई आज

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Published : Oct 22, 2020, 10:11 AM IST

नई दिल्ली: पूर्व मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर याचिका पर राऊज एवेन्यू कोर्ट आज सुनवाई करेगा. जिसमें मानहानि के मामले को किस कोर्ट में भेजा जाए, इस पर फैसला किया जाएगा. डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज सुजाता कोहली इस मामले पर फैसला सुनाएंगी.

केस ट्रांसफर करने पर होगा फैसला
एमजे अकबर की ओर से दलीलें बाकी
पिछले 13 अक्टूबर को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विशाल पाहूजा ने कहा था कि चूंकि उनकी कोर्ट केवल सांसदों और विधायकों से संबंधित केसों की ही सुनवाई कर सकती है, इसलिए इस मामले को दूसरी कोर्ट में शिफ्ट किया जाए. इस मामले में एमजे अकबर की ओर से अभी दलीलें पेश की जानी बाकी हैं. प्रिया रमानी की ओर से वकील रेबेका जॉन ने अपनी दलीलें खत्म कर लीं है.

प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले नहीं
पिछले 19 सितंबर को रेबेका जॉन ने कहा था कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरुरी है और प्रिया रमानी उसका एक छोटा हिस्सा भर हैं. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से ये कहा जाना सही नहीं है कि प्रिया रमानी के ट्वीट् मानहानि वाले हैं. इसका कोई कानूनी आधार नहीं है. भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के मानदंडों के तहत मानहानि की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था कि एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने जिन फैसलों का उदाहरण दिया है, वे दीवानी मानहानि से जुड़े हैं न कि आपराधिक मानहानि के.


मी-टू मूवमेंट ने एक सुरक्षित प्लेटफार्म दिया
रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर का कहना है कि प्रिया रमानी ने 20 साल तक कुछ नहीं कहा. लेकिन प्रिया रमानी ने उस समय भी कहा और वो अभी भी हैं. मी-टू मूवमेंट ने प्रिया रमानी को एक सुरक्षित प्लेटफार्म दिया. गजाला वहाब ने भी अपने बयान में कहा है कि एशियन एज में यौन प्रताड़ना पर कार्रवाई का कोई मेकानिज्म नहीं था. विशाखा गाइडलाइन तो 1997 में आया. प्रिया रमानी ने अपनी चुप्पी की वजह को विस्तार से बताया है, उस पर कोर्ट गौर कर सकता है.


प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता
रेबेका जॉन ने कहा था कि एमजे अकबर की ओर से कहा गया कि वे कठिन मेहनत करते थे और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई, उन्होंने कहा था कि कठिन मेहनत करना केवल एमजे अकबर का अकेला काम नहीं था. मिलने से पहले प्रिया रमानी एक पत्रकार के रुप में एमजे अकबर की प्रशंसा करती थीं लेकिन उनका रमानी और दूसरी महिलाओं के साथ व्यवहार उलटा था. रेबेका जॉन ने कहा था कि कुल मिलाकर प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस नहीं बनता है.

अक्टूबर 2018 में दायर किया था केस
एमजे अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. उन्होंने प्रिया रमानी द्वारा अपने खिलाफ यौन प्रताड़ना का आरोप लगाने के बाद ये आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. 18 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने एमजे अकबर की आपराधिक मानहानि की याचिका पर संज्ञान लिया था. 25 फरवरी 2019 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दी थी. कोर्ट ने प्रिया रमानी को दस हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. कोर्ट ने 10 अप्रैल 2019 को प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय किए थे. कोर्ट ने प्रिया रमानी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की स्थाई छूट दी थी.

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