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यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किए जाने की मांग पर 7 अगस्त को सुनवाई

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Published : Aug 3, 2023, 1:46 PM IST

कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किए जाने की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट सात अगस्त को सुनवाई करेगा. तिहाड़ जेल अधिकारियों ने कहा कि मलिक को बहुत अधिक जोखिम वाले कैदियों की श्रेणी में रखा गया है, इसलिए सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना जरूरी है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट आतंकी टेरर फंडिंग मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करने के मामले पर सात अगस्त को सुनवाई करेगा. बता दें, यह आवेदन तिहाड़ जेल अधिकारियों ने हाईकोर्ट में दिया था. हाईकोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा यासीन मलिक को मौत की सजा की मांग वाली अपील पर सुनवाई कर रहा है.

यह मामला गुरुवार (आज) को सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध था. लेकिन पीठ के इकट्ठा न होने के कारण इस पर सुनवाई नहीं हो सकी. जेल अधिकारियों द्वारा आवेदन में 29 मई को नौ अगस्त के लिए जारी किए गए प्रोडक्शन वारंट जारी होने के पहले के आदेश में संशोधन की मांग की गई है. इसलिए जेल अधिकारियों ने भारी सुरक्षा मुद्दे का हवाला देते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मलिक की पेशी की मांग की है.

जेल अधिकारियों ने आवेदन में कहा कि मलिक को बहुत अधिक जोखिम वाले कैदियों की श्रेणी में रखा गया है. इसलिए यह जरूरी है कि सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए उसे शारीरिक रूप से पेश न किया जाए. उल्लेखनीय है कि मलिक को पिछले साल मई में विशेष एनआईए कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मालिक ने मामले में अपना दोष स्वीकार कर लिया था और अपने खिलाफ आरोपों का विरोध नहीं किया था. उसे उम्रकैद की सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा था कि अपराध शीर्ष अदालत द्वारा आयोजित दुर्लभतम मामले की कसौटी पर खरा नहीं उतरा है.

न्यायाधीश ने मलिक की इस दलील को भी खारिज कर दिया था कि उन्होंने अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन किया है और शांतिपूर्ण अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व कर रहे हैं. कोर्ट ने पिछले साल मार्च में इस मामले में मलिक और कई अन्य आरोपितों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए थे. जिन अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए और मुकदमे का दावा किया गया उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिद्दीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ फंटूश, नईम खान और फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे शामिल थे. जबकि कोर्ट ने कामरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदा आसिया फिरदौस अंद्राबी नाम के तीन लोगों को आरोपमुक्त कर दिया था.

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