नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक के खाताधारकों को पांच लाख रुपये तक निवेशकों को निकालने की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई को टाल दिया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 जनवरी को सुनवाई करने का आदेश दिया.
हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
आज सुनवाई के दौरान रिजर्व बैंक ने हलफनामा दायर करने के लिए समय देने की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने 18 जनवरी तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. पिछले 1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य याचिका नहीं है, हमें बैंक और निवेशकों दोनों के हितों का ध्यान रखना होगा. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिजर्व बैंक को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आपात स्थिति में पांच लाख रुपये निकालने का मामला पीएमसी बैंक पर ही छोड़ दिया था.
लोगों को दवाईयां खरीदने में हो रही परेशानी
1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील शशांक सुधी देव ने कहा था कि पांच लाख रुपये तक निकासी के लिए केवल 13 लोगों को योग्य माना गया है. उन्होंने कहा था कि गंभीर बीमारियों को आधार बनाया गया है. तब कोर्ट ने कहा था कि जो गंभीर रूप से बीमार नहीं है, वे भी एक लाख रुपये निकाल रहे हैं. उसके बाद कोर्ट ने पूछा था कि क्या आप ये सीमा पांच लाख रुपये तक करना चाहते हैं. तब देव ने कहा था कि एक दूसरी हाईकोर्ट ने कैंसर जैसी बीमारी वाले निवेशकों को ज्यादा रकम देने का आदेश दिया है. देव ने कहा था कि सवाल ये है कि जिन लोगों के पास धन नहीं है, उन्हें दवाईयां खरीदने में भी परेशानी हो रही है.
शिकायत निवारण का होना चाहिए मेकानिज्म
हाईकोर्ट ने कहा था कि आजकल सभी परेशानियों में हैं, लेकिन इसमें कुछ सीमांकन होना चाहिए. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा था कि शिकायत निवारण का कुछ मेकानिज्म होना चाहिए. इसे हल्के में लेने की जरुरत नहीं है. कोर्ट ने रिजर्व बैंक से कहा कि आप पीएमसी बैंक पर ही सारा फैसला नहीं छोड़ सकते हैं, आपको इस पर फैसला लेने को कहा गया था. तब देव ने कहा कि कुछ लोगों ने खुदकुशी भी कर ली है. कोर्ट ने कहा था कि हमें इस मामले में बैंक और निवेशकों को हितों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा. कोर्ट ने कहा था कि अगर आप पांच लाख, दस लाख या बीस लाख रुपये तक की धन निकासी की अनुमति की मांग कर रहे हैं, तो हम आपकी मदद नहीं कर सकते हैं.