नई दिल्लीःअकाली नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के इस्तीफ़े के बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. एक तरफ़ चुनाव के इतने दिन बीत जाने के बावजूद कमेटी का गठन नहीं हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ़ कार्यकारी अध्यक्ष के अचानक इस्तीफ़े के बाद ये सवाल खड़ा हो रहा है कि अब कमेटी में फ़ैसले कौन लेगा.
इस बीच अकाली दल के दिल्ली अध्यक्ष और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जनरल सेक्रेटरी (कार्यकारी) हरमीत सिंह कालका ने दिल्ली कमेटी में केंद्र और दिल्ली सरकार की दखलंदाजी का आरोप लगाया है.
कालका ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल को हरा नहीं पाने की बौखलाहट सरकारों में इतनी है कि वो अब दिल्ली कमेटी में अपना दख़ल दे रहे हैं. इसके लिए चुनाव से लेकर कमेटी की कार्यप्रणाली पर वह अपना ज़ोर चलाना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली कमेटी में एक संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है जिसके लिए क़ानूनी राय ली जा रही है.
कालका का दिल्ली और केंद्र पर आरोप ये भी पढ़ें- सिंघु बॉर्डर से निहंग सिखों को बंगला साहिब गुरुद्वारा लेकर गई दिल्ली पुलिस सिरसा के फ़ैसले को निजी बताते हुए कालका ने कहा कि उन्होंने किस वजह से ये फ़ैसला लिया नहीं मालूम लेकिन पार्टी को इसका दुःख है. कोई सिपाही भी जाता है तो उसका दुःख होता है, ये तो प्रधान थे. उन्हें पार्टी ने इतना कुछ दिया. हारने के बाद आधा घंटे के भीतर ही सरदार सुखविंदर सिंह बादल ने उन्हें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से नॉमिनेट कराया और उनके लिए इतने महीनों तक लड़ाई लड़ी. हालांकि उसके बावजूद उनका यूं जाना दुखदायी है.
कालका ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल की टीम तैयार है. जल्दी ही हम अदालत में कमेटी के इंटरनल चुनाव के लिए अपील करेंगे. हम चाहेंगे कि दिल्ली की संगत में जब शिरोमणी अकाली दल पर विश्वास जताकर उन्हें दिल्ली कमेटी में भेजा है वो विश्वास टूटे ना. सिरसा के इस्तीफ़े को निजी फ़ैसला बताते हुए हरमीत सिंह कालका ने यह भी कहा कि उनका इस्तीफ़ा बिना जनरल हाउस के मंज़ूर नहीं किया जा सकता.