नई दिल्ली: हिंदू धर्म में तीज का त्योहार काफी हर्षोल्लास के साथ महिलाएं मनाती हैं. पूरे देश में इस दिन माता गौरी की पूजा की जाती है. इस वर्ष हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी 19 अगस्त को मनाई जाएगी. इसे विवाहित और अविवाहित महिलाएं मनाती हैं. इस त्योहार को सावन तीज, सिंधरा तीज, छोटी तीज, हरतालिका तीज, अखा तीज या कजरी तीज भी कहा जाता है. महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की अर्धांगिनी मां गौरी की पूजा कर सौभाग्य की कामना करतीं हैं.
हरे रंग का खास महत्व:मान्यताओं के अनुसार, महिलाएं इस दिन अपने मायके जाती हैं, नए कपड़े पहनती हैं, नई दुल्हन की तरह तैयार होकर सखियों के साथ झूला डालकर सावन के लोकगीत गाकर त्योहार की खुशियां मनाती हैं. इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व है. महिलाएं हरे रंग की साड़ी के साथ हरी चुड़ियां पहनती है. सावन के महीने में प्रकृति पूरी तरह से हरी होती है. हरा रंग को सुहाग का भी प्रतीक माना जाता है. इस लिहाज से इस दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार के लिए हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है.
हरियाली तीज की मान्यता:हिन्दू धर्म में तीज का त्योहार बहुत ही व्यापक तौर पर मनाया जाता है. हरियाली तीज को लेकर हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी पार्वती की 108 वर्षों की लंबी तपस्या और प्रार्थनाओं के बाद हरियाली तीज के ही दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. हरियाली तीज के दिन सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं.
कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति की कामना के साथ व्रत रखती हैं. तीज ऐसा त्योहार है, जो मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों में मनाया जाता है. बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में महिलाएं बहुत खुशी और भक्ति के साथ त्योहार का स्वागत करती हैं. तीज के दिन वृंदावन में भगवन श्रीकृष्ण (बिहारी जी) को झूला झुलाया जाता है. इसका विशेष महत्व होता है. बताया जाता है कि हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है.