नई दिल्लीः देशभर में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. हनुमान जन्मोत्सव पर भंडारे, शोभायात्रा आदि का भी आयोजन होता है. हनुमान जन्मोत्सव बजरंगबली के जन्मदिन के उपलक्ष्य के रूप में मनाया जाता है. इस बार हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. शिव शंकर ज्योतिष एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष आचार्य शिवकुमार शर्मा बताते हैं कि कई लोग इसे हनुमान जयंती भी कहते हैं. हनुमान जन्मोत्सव को हनुमान जयंती कहना ठीक नहीं होगा. भगवान हनुमान दीर्घजीवी हैं. भगवान हनुमान को चिरंजीवी माना गया है. इसलिए उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन भक्त बजरंगबली का व्रत करते हैं.
आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक चैत्र मास की पूर्णिमा को हर साल हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस बार चैत्र मास की पूर्णिमा की उदय तिथि 6 अप्रैल को है. 6 अप्रैल सुबह 10:03 तक पूर्णिमा है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान हनुमान का जन्म त्रेता युग में हुआ था. उस दिन तिथि चैत्र पूर्णिमा थी. मां अंजनी के गर्भ से जन्म में भगवान हनुमान को वायु का अवतार का हो जाता है.
० पूजा विधि:हनुमान जयंती का व्रत रखने से पहले एक रात जमीन पर सोए. सोने से पहले भगवान राम और मां सीता के साथ भगवान हनुमान का स्मरण करें. व्रत के दिन सुबह प्रातकाल उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहने. मंदिर में चौकी स्थापित करें और चौकी पर हनुमान जी की मूर्ति रखें. पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजित करें. भगवान हनुमान को चूरमा बेहद प्रिय है. रोटी को बूरा और शक्कर मिलाकर चूरमा बनाया जाता है. श्रद्धा अनुसार लोग एक पाव से लेकर सवा मन तक चूरमा तैयार करते हैं. चूरमा के साथ बूंदी का भी भोग लगा सकते हैं. भगवान हनुमान को लाल सिंदूर बेहद प्रिय है. सिंदूर से भगवान हनुमान का श्रृंगार किया जाता है.