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अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी, धरने पर भी कापियां जांचतीं नज़र आईं अतिथि शिक्षिका

बता दें कि 28 फरवरी को अनुबंध खत्म होने के बाद से सभी अतिथि शिक्षक सड़कों पर उतर आए हैं और हरियाणा की तर्ज पर 60 साल की पॉलिसी को लेकर लगातार शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं.

अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी, धरने पर भी कापियां जांचतीं नज़र आईं अतिथि शिक्षिका

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Published : Mar 17, 2019, 12:49 PM IST

नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों का 60 साल की पॉलिसी को लेकर लगातार 16 दिनों से प्रदर्शन जारी है. शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया आवास और उपराज्यपाल के आवास पर प्रदर्शन करने के बाद सभी अतिथि शिक्षकों ने दिल्ली प्रदेश बीजेपी कार्यालय पर प्रदर्शन किया.

अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी, धरने पर भी कापियां जांचतीं नज़र आईं अतिथि शिक्षिका

बता दें कि प्रदर्शन के बाबत भी शिक्षकों ने विद्यार्थियों के भविष्य को खुद से ऊपर रखा है. यही वजह रही कि सभी अतिथि शिक्षक प्रदर्शन के दौरान बीजेपी कार्यालय के बाहर ही परीक्षा की कापियां जांचते नजर आए. वहीं प्रदर्शन कर रही अतिथि शिक्षक का कहना है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास है. अपने प्रदर्शन के चलते हम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते.

दिल्ली बीजेपी प्रदेश कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षक परीक्षा की उत्तर पुस्तिका जांच करते नजर आए. प्रदर्शन कर रही एक अतिथि शिक्षिका ने बताया कि उन्हें लगातार स्कूल से धमकी दी जा रही है कि अगर समय पर रिजल्ट बनाकर नहीं दिया गया तो उन्हें सर्विस से रिलीव कर दिया जाएगा. वहीं एक अन्य अतिथि शिक्षिका ने बताया कि स्कूल प्रशासन उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार कर रहा है. यहां तक की गर्भवती शिक्षिका को मातृत्व अवकाश देने के लिए भी यह शर्त लगा दी कि पहले रिजल्ट तैयार करके दो तभी अवकाश दिया जाएगा.

अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी, धरने पर भी कापियां जांचतीं नज़र आईं अतिथि शिक्षिका

बता दें कि स्कूल प्रशासन के इस रवैये से शिक्षकों में निराशा भी है और रोष भी. उनका कहना है कि जब उनकी सर्विस ही नहीं है तो अब उन्हें दोबारा रिलीव किस बात के लिए किया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि अपने हक के लड़ाई लड़ने में बुराई क्या है. वहीं उत्तर पुस्तिका जांचने को लेकर अतिथि शिक्षकों का कहना है कि हम अपनी निजी परेशानियों के चलते छात्रों का भविष्य खराब नहीं कर सकते. यही कारण है कि स्वास्थ्य सही ना होने पर भी स्कूल ना जाकर भले ही प्रदर्शन में आए हैं लेकिन रिजल्ट का काम ना रुके इसके लिए वहीं धरने पर बैठकर ही कॉपियां जांच कर रहे हैं.

प्रदर्शन कर रही एक अतिथि शिक्षिका ने कहा कि सड़क पर बैठना उन्हें अच्छा नहीं लगता लेकिन 42 साल की उम्र हो जाने पर यदि अचानक उन्हें नौकरी से हटा दिया जाएगा तो वह भविष्य में क्या करेंगे. इसी चिंता की वजह से वह सड़क पर बैठने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि लगभग 10 साल तक सरकारी स्कूलों में अपनी सेवा देने के बाद उसका यह फल मिला कि अब कोई भी उनकी सुध लेने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि यदि पॉलिसी नहीं बनती तो वह इसी तरह सड़क पर ही बैठी रहेंगी और तब तक बैठी रहेंगी जब तक उनके भविष्य के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता.

अतिथि शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी

वहीं 16 दिन से प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने हमें फुटबॉल बना दिया है और हमारे साथ केवल खेल खेल रही हैं. ऐसे में लोकसभा चुनाव में हम भी उन्हें इस खेल का प्रतिउत्तर देंगे. उन्होंने कहा जब राजनेता हाथ जोड़कर घर पर वोट मांगने आएंगे तो हम भी उन्हें ठेंगा दिखाएंगे.


उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में हम नोटा का बटन दबाएंगे. साथ ही अपने परिवार और आसपास के लोगों से भी नोटा दबाने की अपील करेंगे. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि जिस देश की सरकार वहां के शिक्षकों को सम्मान नहीं दे सकती उसे सत्ता में आने का कोई अधिकार नहीं है.


बता दें कि 28 फरवरी को अनुबंध खत्म होने के बाद से सभी अतिथि शिक्षक सड़कों पर उतर आए हैं और हरियाणा की तर्ज पर 60 साल की पॉलिसी को लेकर लगातार शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं.


वहीं आचार संहिता लगने के बाद भी शिक्षकों का प्रदर्शन जारी है साथ ही उनकी मांग है कि जब तक पॉलिसी बनकर लागू ना हो जाए तब तक किसी भी अतिथि शिक्षक को उसके पद से किसी भी कारण से चाहे वह पीएससी हो या प्रमोशन, हटाया ना जाए.

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