नई दिल्ली:कोरोना काल के दौरान सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, इसको लेकर उन्हें ऑनलाइन क्लासेस दी जा रही हैं. वहीं ऑनलाइन क्लासेस में शिक्षकों का काफी डाटा इस्तेमाल हो रहा है. जिसके चलते उनका मोबाइल बिल बढ़ गया है और जिनका प्रीपेड कनेक्शन है. उन्हें बार-बार नेट रिचार्ज कराना पड़ रहा है.
सरकार से इंटरनेट भत्ते की मांग शिक्षकों की इन समस्याओं को लेकर संतराम, सेक्रेटरी, वेस्ट ए डिस्ट्रिक्ट, जीएसटीए (Government School Teachers Association) ने शिक्षा निदेशालय को उनके एक साल पहले इंटरनेट बिल की राशि दिए जाने के वादे को याद दिलाया. कहा कि सरकार वादे के मुताबिक शिक्षकों को इंटरनेट बिल का खर्च दे. जिससे उनपर अनायास आर्थिक बोझ न पड़े.
सरकार ने 200 रुपये प्रति माह देने का किया था वादा
ऑनलाइन क्लासेस में इंटरनेट की हो रही खपत और शिक्षकों की परेशानी को लेकर संतराम, सेक्रेटरी, वेस्ट ए डिस्ट्रिक्ट, जीएसटीए ने बताया कि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और जीरो पेपर वर्क के अपने लक्ष्य के लिए सभी शिक्षकों को टैबलेट मुहैया कराए.
साथ ही स्कूल संबंधित सभी काम यहां तक कि बच्चों की रोजाना हाजिरी भी टैबलेट के जरिए ही लगाने के लिए कहा गया. साथ ही शिक्षकों को 200 रुपये प्रति माह इंटरनेट खर्च भी देने की बात भी कही गयी थी. लेकिन अभी तक शिक्षकों को उसका लाभ नहीं मिल पाया है.
शिक्षकों पर न पड़े वित्तीय बोझ
वहीं उन्होंने कहा कि इस समय सभी शिक्षक टैबलेट के जरिए ही ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं. ऐसे में उनकी इंटरनेट की खपत भी काफी बढ़ गई है. इस दौरान सबसे ज्यादा परेशानी अतिथि शिक्षकों और मेंटर टीचर को हो रही है.
जिन्हें बार-बार सेमिनार लेना पड़ रहा है या ऑनलाइन क्लासेस कई घंटों तक कई क्लासेस को देनी पड़ रही है. ऐसे में उन्होंने सरकार को उनका वादा याद दिलाया और कहा कि इंटरनेट का मासिक शुल्क सरकार अदा करें. जिससे शिक्षकों पर अनायास वित्तीय बोझ ना पड़े.
उन्होंने बताया कि सभी अतिथि शिक्षक डेली वेजेस पर कार्यरत हैं और जैसे तैसे अपनी आमदनी कमा रहे हैं. इन पर इंटरनेट रिचार्ज का अतिरिक्त बोझ डालना ठीक नहीं होगा. ऐसे में उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस बात को संज्ञान में लें और उसका जल्द समाधान निकालें.