नई दिल्ली:पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था ग्रीनपीस के हाल ही में आए आंकड़े परेशान करने वाले हैं. जिसमें कहा गया है कि साल 2020 में वायु प्रदूषण के कारण केवल राजधानी दिल्ली में 54000 लोगों की मौत हो गई है. चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि साल 2020 में मार्च महीने से ही लॉकडाउन लगा दिया गया था और तब एयर क्वालिटी इंडेक्स में बड़ा सुधार देखने को मिला था. जिसमें AQI 50 तक दर्ज हुआ था. बावजूद ये आंकड़े बेहद चिंताजनक है.
पीएम 2.5 का स्तर बेहद चिंताजनक
वायु प्रदूषण को लेकर ग्रीनपीस के जारी किए गए आंकड़ों को लेकर पर्यावरणविद और सोशल वर्कर्स का क्या कहना है? इसके साथ ही क्या दिल्ली सरकार के जरिए प्रदूषण को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त है? इसको लेकर ईटीवी भारत को सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में एयर पॉल्युशन यूनिट के प्रोग्राम मैनेजर विवेक चट्टोपाध्यायने बताया दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. इसमें पीएम 2.5 का स्तर चिंताजनक है, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. ना केवल मौजूदा समय में बल्कि इसके कारण हम कई लंबी बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को किया जाए बेहतर
विवेक चट्टोपाध्याय ने बताया पीएम 2.5 का स्तर बढ़ाने में ट्रांसपोर्ट सेक्टर, छोटी-बड़ी सभी फैक्ट्रियों, कूड़ा जलाना यह अहम भूमिका अदा करते हैं. उन्होंने कहा कि प्राइवेट वाहनों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हमारे बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी है. वहीं फ्यूल इंधन का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहतर हो और फ्यूल का इस्तेमाल कम किया जाए, तो वायु प्रदूषण पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है.
इसके साथ ही अगर लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर अपना रुख करेंगे, तो यह भी एक बेहतर कदम है. साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा स्विच इंडिया जो अभियान चलाया गया है उसमें जनभागीदारी की आवश्यकता है तभी वह अभियान सफल हो सकता है इसके साथ ही एनसीआर में इंडस्ट्रियल सेक्टर पर भी कुछ नियंत्रण किया जाना चाहिए.
इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी दे सरकार