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आम चुनाव से पहले मुश्किल में केजरीवाल सरकार! सड़क पर उतरे ग्रामीण सेवा संगठन - delhi transport

प्रतिबिंब ग्रामीण सेवा संगठन के उपाध्यक्ष रामचंद्र चंदू ने यहां कहा कि जब भी बात किराया बढ़ोतरी की आती है तब ऑटो किराए में बढ़ोतरी की मंजूरी देकर कन्नी काट ली जाती है. उन्होंने कहा कि अबकी बार भी सरकार ने ऐसा ही किया है और ऐसे में ग्रामीण सेवा चालक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दलील दी कि अगर महंगाई बढ़ी है तो वो सबके लिए बढ़ी है.

केजरीवाल सरकार के विरोध में उतरे ग्रामीण सेवा संगठन

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Published : Mar 12, 2019, 5:48 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में केजरीवाल सरकार को बड़ा झटका लग सकता है. ग्रामीण सेवाओं के किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं करने को लेकर दिल्ली के ग्रामीण सेवा संगठन केजरीवाल सरकार से खफा हो गए हैं.

केजरीवाल सरकार के विरोध में उतरे ग्रामीण सेवा संगठन

आरोप है कि सरकार ने वोट बैंक साधने के लिए ऑटो किराए को मंजूरी दे दी है लेकिन ग्रामीण सेवा चालकों के विषय में सोचा तक नहीं गया है. इसी क्रम में चालकों ने मंगलवार दिल्ली के मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के खिलाफ प्रदर्शन किया.


प्रतिबिंब ग्रामीण सेवा संगठन के उपाध्यक्ष रामचंद्र चंदू ने यहां कहा कि जब भी बात किराया बढ़ोतरी की आती है तब ऑटो किराए में बढ़ोतरी की मंजूरी देकर कन्नी काट ली जाती है. उन्होंने कहा कि अबकी बार भी सरकार ने ऐसा ही किया है और ऐसे में ग्रामीण सेवा चालक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने दलील दी कि अगर महंगाई बढ़ी है तो वो सबके लिए बढ़ी है.


ग्रामीण सेवा वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव चरणजीत कहते हैं कि पिछले 6 साल से ग्रामीण सेवा चालक फेयर रिवीजन की मांग कर रहे हैं. इस दौरान ड्राइवरों की सैलरी और खर्चे दोनों ही डबल हो गए हैं. हालांकि ग्रामीण सेवा अब भी 5, 10 और 15 रुपये में सवारी उठा रहे हैं. वह आरोप लगाते हैं कि सरकार ने वोट बैंक पॉलिटिक्स खेलते हुए ऑटो का किराया बढ़ा दिया है क्योंकि वह संख्या में 1 लाख हैं वहीं ग्रामीण सेवा चालकों के लिए 1 अप्रैल से पैनिक बटन की शर्त भी लागू होने वाली है.


संगठनों का कहना है कि सरकार को ग्रामीण सेवाओं का किराया तत्काल बढ़ाना चाहिए. यही नहीं इन्होंने मांग की है कि फिर रिवीजन के साथ ग्रामीण सेवाओं के नए रूट भी बनाए जाने चाहिए. साथी 1 अप्रैल से लागू होने वाली पैनिक बटन की शर्त को हटाया जाना चाहिए. कहा जा रहा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो ग्रामीण सेवा संगठन आगामी चुनाव में केजरीवाल सरकार के खिलाफ प्रचार करेंगे.

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