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Published : Jan 5, 2021, 5:00 PM IST

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सरकार किसानों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही: संजय सिंह

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार किसानों को खुले आसमान के नीचे मरने दे रही है. किसान अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना कर उन्हें इस कड़ाके की ठंड में मरने के लिए छोड़ दिया है.

Government treats farmers like enemies: Sanjay Singh
राज्यसभा सांसद संजय सिंह किसानों के समर्थन में बोले

नई दिल्ली:संजय सिंह ने कहा कि हमें लगा कि सोमवार को किसानों के साथ सरकार की वार्ता अंतिम वार्ता होगी और काला कानून वापस होगा. अभी के समय किसान आंदोलित हैं और 60 से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है. पंजाब का किसान, हरियाणा का किसान उत्तराखंड का किसान, उत्तर प्रदेश का किसान अपनी जान दे रहा है. किसानों के साथ सरकार दुश्मन देश के नागरिक जैसा व्यवहार कर रही है. किसानों के ऊपर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं. उनको लाठियों से पीटा जा रहा है. उनको वॉटर कैनन से रोका जा रहा है. किसानों को अपमानित करने के लिए उन्हें खालिस्तानी, आतंकवादी जैसे शब्द कहे जा रहे हैं.

राज्यसभा सांसद संजय सिंह किसानों के समर्थन में बोले


'मिर्ची पाउडर के गोले छोड़े जा रहे हैं'


संजय सिंह ने कहा कि 2 दिन पहले यह दृश्य सामने आया था, जहां हरियाणा की खट्टर सरकार किसानों पर गोले की बौछार कर रही है. मिर्ची पाउडर के गोले छोड़े जा रहे हैं. ऐसा देखकर लगता है कि सरकार दुश्मन देश के नागरिक के साथ युद्ध लड़ रही है. यह देखकर लगता है कि भारत में जनरल डायर का शासन आ गया है. जिस तरह जनरल डायर ने गोलियां चलाकर भाइयों की हत्या की थी. उस तरह के दृश्य किसान आंदोलन में देखने को मिल रहे हैं.




संजय सिंह ने कहा
एक तरफ जहां आंदोलन में किसान अपनी शहादत दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सरकार उनकी लाशें गिन रही है. सरकार यह गिन रही है कि कौन किसान किस राज्य का है. सरकार क्या चाहती है कि पूरा देश का किसान मरने के लिए लाइन में खड़ा हो जाए, तब क्या सरकार की कुंभकरण वाली नींद खुलेगी.


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संजय सिंह ने कहा कि कृषि बिल का लोकसभा, राज्यसभा हर जगह विरोध हुआ. सड़क पर इस बिल का विरोध हो रहा है. चोरी छुपे पिछले दरवाजे से इस बिल को पास किया गया है. पार्लियामेंट में इस बिल के ऊपर चर्चा तक नहीं की गई. अडानी अम्बानी की गुलाम सरकार ने इस बिल को पूंजीपतियों के लिए बनाया है. किसान भी अपना मन बना चुके हैं कि जब तक यह काला कानून वापस नहीं होगा किसान भी अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे.

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