नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने असोला भाटी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में ‘जंगल ऑन व्हील्स’, ’ साइक्लोथॉन ’ और ’ वाकाथॉन’ आयोजित करने पर दिल्ली के वन विभाग को फटकार लगाई है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि वन और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी अफ्रीका के ’मसाई मारा’ या ’ सेरेंगेटी’ नहीं है. हाई कोर्ट एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि अप्रैल में कोर्ट की ओर से पेड़ों को गिराने के पहले ट्री अफसरों को उचित वजह बताने के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारी पेड़ों को गिराने का धड़ाधड़ आदेश दे रहे हैं.
नहीं चलेगी वन विभाग की मर्जी: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हम वनों के एक-एक हेक्टेयर के लिए चिंतित हैं. आप इस तरह का आयोजन कैसे कर सकते हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को इस संबंध में पक्ष साफ करने का निर्देश दिया. मामले के एमिकस क्युरी ने कोर्ट में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था. इसके अनुसार दिल्ली सरकार असोला सेंचुरी में ’वाक विद वाइल्ड लाइफ’ का इवेंट आयोजित करने जा रही है. एमिकस क्युरी ने कोर्ट को कुछ फोटो दिखाए, जिसमें रिज के अंदर छह से आठ फीट चौड़ी सड़क दिखाई दे रही थी.
एमिकस क्युरी ने कहा कि बिना सेंट्रल रिज मैनेजमेंट बोर्ड की अनुमति के ये सड़क नहीं बनाया जा सकता है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने संबंधित उप वन संरक्षक का एक हलफनामे का जिक्र किया. इसमें रिज के अंदर सड़क बनाने के पहले रिज मैनेजमेंट बोर्ड की अनुमति नहीं ली गई थी. जस्टिस जसमीत सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि दिल्ली के वन उसके नागरिकों का है और वन विभाग अपनी मर्जी नहीं चला सकता है.