जंतर मंतर पर इक्टठा हुए परिवार 2014 और 2017 के सैकड़ों आवंटी है जिन्हें DDA ने LIG कहकर EWS कैटेगिरी के फ्लैट बांट दिए. इन लोगों ने डीडीए पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. इनका आरोप है कि डीडीए ने सात लाख रुपये में तैयार किए गए ईडब्ल्यूएस फ्लैट उन्हें 15 लाख में बेच दिये. जबकि ये फ्लैट्स रहने लायक नहीं हैं.
साल 2014 आवास योजना में नरेला में फ्लैट पाने वाले संजय सैनी ने बताया कि डीडीए ने उन लोगों के साथ बड़ा धोखा किया है. उन लोगों को एलआईजी फ्लैट के नाम पर ईडब्ल्यूएस फ्लैट थमा दिए गए. इनका आकार इतना छोटा है कि उसमें रहना बहुत ही मुश्किल है. इसके अलावा लगभग 4 साल बाद भी यहां पर बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंची हैं. सड़क, परिवहन, स्कूल, अस्पताल सभी की कमी है.
इसकी वजह से यहां पर वो रह नहीं सकते. उन्होंने बताया कि उनकी मांग है कि उन्हें वास्तविक एलआईजी फ्लैट दिया जाए या उनसे यह ईडब्ल्यूएस फ्लैट वापस ले लिया जाए.
चार साल बाद टूटी डीडीए की नींद
प्रदर्शनकारियों में शामिल महिला ने बताया कि यहां पर 4 साल बाद अब डीडीए मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी जुटा रहा है. उन्होंने बताया कि यहां किसी भी तरह की मूलभूत सुविधा नहीं थी. हाल ही में यहां डीडीए ने सीआईएसएफ को सैकड़ों फ्लैट बेचे हैं. इन फ्लैटों के बिकने के बाद से अब डीडीए को यहां पर बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने का ख्याल आया है.
महिलाएं कहती है कि वो जानना चाहती हैं कि आखिर 4 साल से डीडीए क्यों सो रखा था और अब वो क्यों यहां पर बुनियादी सुविधाएं लाना चाहते हैं. अब यहां पर लोग रहने को ही तैयार नहीं है.
घर बना हुआ है कबूतर खाना
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि यहां पर बनाए गए फ्लैटों के कमरे इतने छोटे हैं कि वह किसी कबूतर खाने जैसे लगते हैं. इसकी वजह से यहां पर किसी भी परिवार के लिए रहना संभव नहीं है. 4 साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद रोहिणी, नरेला, और सिरसपुर में बड़ी संख्या में फ्लैट खाली पड़े हुए हैं. यहां पर कोई रहना नहीं चाहता क्योंकि ये फ्लैट रहने लायक बनाए ही नहीं गए हैं. उन्होंने कहा कि नवंबर में भी उन लोगों ने डीडीए के समक्ष प्रदर्शन किया था. उस समय डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर ने उन्हें मदद का आश्वासन दिया था लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई है.