नई दिल्ली:बॉलीवुड अभिनेता आशुतोष राणा, राजकुमार राव और पंकज कपूर अभिनीत फिल्म 'भीड़' लॉकडाउन के दौरान सामाजिक असमानता के बारे में है. इस फिल्म को लेकर राजधानी दिल्ली के डिलाइट सिनेमा में प्रेस शो किया गया. निर्माता निर्देशक अनुभव सिन्हा ने एक बार फिर से समाज के अंतिम पॉयदान पर खड़े लोगों के मुद्दे को लेकर उनके कठिन और संघर्षपूर्ण जीवन को बड़े पर्दे पर उतारने का कार्य किया है.
फिल्म देश में कोरोना काल के समय लॉकडाउन के दौरान हुई अफरा-तफरी के बीच अपने घरों की तरफ लौटते लोगों के संघर्ष को जीवंत तरीके से पेश किया है. फिल्म में मुख्य भूमिका में राजकुमार राव के साथ अभिनेता आशुतोष राणा ने भी सराहनीय काम किया है. फिल्म की शूटिंग कोरोना काल के दौरान ही प्रोटोकॉल के साथ की गई थी, जिस कारण फिल्म में जीवंत दिखने में खूबी नजर आती है. फिल्म के शुरुआत में प्रवासी मजदूरों का संघर्ष दिखाया गया है. इसके बाद तेजपुर स्थित पुलिस नाके की एंट्री होती है. इस फ़िल्म में प्रवासियों की मजबूरी और पुलिस की कर्तव्यनिष्ठता के बीच का द्वंद दिखाता है.
फिल्म भीड़ समाज के अदृश्य लोगों की कहानी: फ़िल्म में अभिनेता राजकुमार राव ने पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई है. फ़िल्म में जातिबंधन को तोड़ने वाले संदेश के साथ ही प्रेम कहानी भी दर्शाई गई है. साथ ही यह फ़िल्म समाज के मेहनतकश लोगों के जीवन मे आये दिन आने वाली दिक्कतों को संवेदना के साथ बयान करती है. निर्माता निर्देशक अनुभव सिन्हा ने एक बार फिर बॉलीवुड से इतर ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रवासी मजदूरों पर आधारित फिल्म भीड़ का निर्माण किया है.