नई दिल्ली:दिल्ली की जनता के लिए जनहित की योजनाएं बनाने से पहले उनकी रायशुमारी और उन योजनाओं को लागू करने के बाद उसका फीडबैक हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा गठित की गई फीडबैक यूनिट (FBU), दिल्ली उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए गले की फांस बन सकती है. इस फीडबैक यूनिट के गठन में भ्रष्टाचार और इसके जरिए जासूसी कराने की शिकायत के बाद मिले सबूतों के आधार पर, अब गृह मंत्रालय ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की मंजूरी दे दी है. सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक, यूनिट के लिए एक करोड़ रुपए का भी आवंटन किया गया था.
क्या है मामला:आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा गठित फीडबैक यूनिट के बेजा इस्तेमाल को लेकर सीबीआई की ओर से प्रारंभिक जांच की गई थी. जिसमें पाया किया गया कि दिल्ली सरकार ने अपनी योजनाएं लागू करने से पहले व बाद में फीडबैक लेने के लिए जो फीडबैक यूनिट बनाई है, उस यूनिट के जरिए आम आदमी पार्टी सरकार राजनीति की खुफिया जानकारी भी इकट्ठा कर रही है. दरअसल 12 जनवरी 2023 को सीबीआई ने सतर्कता विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी थी. इसमें मनीष सिसोदिया के खिलाफ आईपीसी की धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम तहत मामला दर्ज करने के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी मांगी गई थी.
फीडबैक यूनिट के गठन के पीछे सरकार की मंशा:70 में से 67 विधानसभा सीटें जीतने के बाद फरवरी 2015 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो आप सरकार के पास जनता की उम्मीदों पर खड़ा उतरने के लिए ढेरों चुनौतियां थी. वर्ष 2016 में आम आदमी पार्टी सरकार ने अपनी योजनाओं को लागू करने से पहले, दिल्ली की जनता की राय लेने के लिए एक फीडबैक यूनिट का गठन किया था. दिल्ली सरकार द्वारा अबतक चलाए गए '10 हफ्ते 10 बजे 10 मिनट', 'दिल्ली रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ', ऑड इवन योजना, इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी को लागू करने के लिए 'स्विच दिल्ली', छात्रों के लिए मिशन बुनियाद, देश के मेंटर, बिजनेस ब्लास्टर, आम लोगों के लिए, दिल्ली सरकार आपके द्वार, परिवहन संबंधी सुविधाओं को लागू करने के लिए फैसले, सर्विस इन आरटीओ और दिल्ली की योगशाला जैसी योजनाओं के लिए इस फीडबैक यूनिट के जरिए राय और योजनाएं बनाकर लागू करने का दिल्ली सरकार का दावा है.
यहां से शुरू हुई गड़बड़ी और शिकायत:फीडबैक यूनिट का गठनफरवरी 2016 में किया था, इस यूनिट में तब 20 अधिकारी थे. फीडबैक यूनिट पर आरोपी है कि फरवरी से सितंबर 2016 तक उन्होंने राजनीतिक विरोधियों सहित अन्य की जासूसी की. इसमें विपक्षी पार्टियों के साथ दिल्ली सरकार के मंत्री एव अन्य की जासूसी कराने की शिकायत को लेकर अंदेशा जताया गया था. यूनिट ने सरकार की योजनाओं आदि से जुड़े कार्यों के अलावा राजनीतिक खुफिया जानकारी भी इकट्ठा की. सीबीआई की जांच के बाद सबूत मिलने पर 12 जनवरी 2023 को एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट भेजी गई थी. वहीं यूनिट शुरू करने के उपराज्यपाल से अनुमति भी नहीं ली गई थी.