नई दिल्ली:कहते हैं पिता वह मजबूत ढाल होती है जो न केवल बच्चों बल्कि पूरे परिवार को हर मुसीबत और समस्याओं से बचाती है. अपनी जरूरतों को भूलकर बच्चों और परिवार की आवश्यकताओं और आने वाले कल के लिए अपना आज भूलकर जो दिनरात मेहनत करता है वह पिता ही तो है. हर साल जून के महीने का तीसरा रविवार हम फादर्स डे के रूप में मनाते हैं. आज ईटीवी भारत आपके सामने एक ऐसी ही पिता की कहानी लेकर आ रहे है, जिसने बुढ़ापे की तमाम मुश्किलों को नज़रंदाज़ करते हुए 37 वर्षीय बेटे को एक किडनी दान की.
क्रोनिक किडनी डिजीज से जूझ रहा था बेटा:दिल्ली का 'प्राइमस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल' पिता-पुत्र के असीम प्रेम का गवाह बना. दरअसल, प्राइमस में किडनी ट्रांसप्लांटेशन के एक केस में 58 वर्षीय आर्मी से रिटायर हुए एक पिता ने अपने 37 वर्षीय बेटे को एक किडनी दान की. उनका बेटा पिछ्ले तीन सालों से क्रोनिक किडनी बीमारी से जूझ रहा था. बता दें कि तीन साल पहले हरियाणा के सोनीपत के एक गांव के रहने वाले 37 वर्षीय संदीप कुमार को अपने अंदर बढ़ रही क्रोनिक किडनी की बीमारी का पता चला. उन्हें नई दिल्ली के प्राइमस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में हेमोडायलिसिस पर रखा गया था. पिछ्ले तीन साल से उनका जीवन लगातार हॉस्पिटल के चक्कर काटने में बीता, क्योंकि इस दौरान उन्हे नियमित जांच से गुजरना पड़ता था. इन तीन सालों में वह अपने प्रियजनों से भी बहुत कम समय बिता पाए.
हर्निया सर्जरी होने के बावजूद पिता ने दान की किडनी:दयानंद सिंह ने अपने वृद्धावस्था की चिंता किए बगैर अपनी इच्छा से संदीप को किडनी दान करने का फैसला किया. संदीप को न केवल इस दुनिया में लाने वाले, बल्कि उसके सपनों को साकार करने वाले दयानंद सिंह ने अपनी वृद्धावस्था और पिछली बैलेटरल इंगुनल हर्निया सर्जरी होने के बावजूद अपनी इच्छा से किडनी डोनर बनने का फैसला किया.