नई दिल्ली :दिल्ली के तीन बॉर्डर पर शुरू हुए किसान आंदोलन को आज पूरे 8 महीने का समय हो चुका है. किसान अब भी अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. संसद के समानांतर किसानों द्वारा जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया जा रहा है, जहां किसान आंदोलन के 8 महीने पूरे होने के उपलक्ष्य में आज किसान संसद की कमान महिलाएं संभाल रही हैं.
Kisan Sansad के स्पेशल ऑब्जर्वर और संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता Dr. Darshan Pal ने बताया कि किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर है और महिलाएं भी घर संभालने के साथ किसान आंदोलन को भी संभाल रही हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए Dr. Darshan Pal ने बताया कि मैं यह स्पष्ट बताना चाहता हूं कि किसान आंदोलन की शुरुआत में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम थी. जैसे-जैसे यह आंदोलन आगे बढ़ा, महिलाएं खुद से इस आंदोलन का हिस्सा बनने लगी. बात यहां तक है कि महिलाएं अपने पतियों को, भाइयों को, बच्चों को कहती हैं कि आप आंदोलन में रहो. खेतों में अपनी कुर्बानी हम देंगे. डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि खेती-किसानी में महिलाओं और पुरुष की बराबर की भागीदारी होती है. अगर किसानों को उनकी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा तो उनका गुजारा अच्छे से होगा. किसानों को उनकी फसल का अच्छा मूल्य मिलेगा तो किसान डिप्रेस्ड नहीं होंगे. बेशक आत्महत्या पुरुष करते हैं, लेकिन महिलाओं की भी परेशानी कम नहीं होती. घर में बच्चे होते हैं, उनको पढ़ाना होता है, बच्चों की शादी करनी होती है, घर में सबका गुजारा अच्छे से हो जाए यह सब चिंता है महिलाएं करती हैं. आज के जंतर-मंतर पर महिलाओं की किसान संसद में महिलाओं की जितनी संख्या है उस से 10 गुना ज्यादा संख्या हम Singhu border पर छोड़ कर आए हैं.
किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश मिशन से जुड़े सवाल के जवाब में डॉ. दर्शन पाल ने बताया कि आने वाले समय में आंदोलन को और विशाल करना होगा. यह हम कर भी रहे हैं. जैसे हम पंजाब से आए थे. फिर हरियाणा से किसान साथी आए. उसके बाद यूपी और उत्तराखंड के किसानों का हमें समर्थन मिला. अभी हम 6 बॉर्डर पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही हमने उत्तर प्रदेश में भी नई मुहिम की शुरुआत की है.