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लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विजय घाट पहुंचे किसान, सरकार के सामने रखी ये मांगें

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 2, 2023, 4:52 PM IST

लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर बड़ी संख्या में विजय घाट पहुंचे किसानों ने उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किया. साथ ही उन्होंने सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखीं.

लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विजय घाट पहुंचे किसान
लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विजय घाट पहुंचे किसान

शास्त्री जी की जयंती पर विजय घाट पहुंचे किसान

नई दिल्ली:जय-जवान, जय-किसान का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर सोमवार को हजारों की संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से किसान दिल्ली के विजय घाट पर जुटे. भारतीय किसान यूनियन (अम्बवता) की ओर से आयोजित 'किसान सम्मान दिवस' पर किसानों ने लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. किसानों ने इस दौरान सरकार के समक्ष अपनी पांच मांगें रखीं.

भारतीय किसान यूनियन (अम्बवता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बवता ने कहा कि आज सरकार किसानों से डर रही है. किसानों के लिए काम करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देने के लिए आ रहे किसानों को गाजियाबाद समेत अन्य स्थानों पर रोक दिया गया. किसानों को टोपी व किसान यूनियन का झंडा उतारकर विजय घाट तक आना पड़ा. आजाद भारत मे क्या किसानों को इतनी भी आजादी नहीं है कि वह अपने नेता को नमन करने के लिए विजय घाट पर आ सकें ?

विजय घाट पर भाकियू अम्बवता की ओर से पिछले 25 साल से 2 अक्टूबर को किसान सम्मान दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इस बार 15 राज्यों से किसान इस किसान सम्मान दिवस में शामिल हुए है. ऋषि पाल अंबावता ने कहा कि जो सरकार किसानों की मांगों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेगी किसान उन्हीं को वोट करेंगे. भारतीय किसान यूनियन अंबावता के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष विकास प्रधान ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने हमेशा किसानों और जवानों को आगे बढ़ाने के बात की.

महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व स्पीकर नाना भाऊ पटेले ने कहा कि आज सरकार किसानों की नहीं सुन रही है. तीन काले कानून के विरोध में लंबे समय तक किसानों का आंदोलन चला. लेकिन पीएम ने किसानों से बात नहीं की. देश के किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी कहा. महाराष्ट्र में किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं, यहाँ पर पीएम ने कहा था कि किसानों के फसल का दाम दोगुना करेंगे, स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करेंगे.

किसानों की बदौलत सत्ता में आए तो सब भूल गए. किसानों के ट्रैक्टर पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दी. किसानों को हमेशा घाटे का सौदा करना पड़ता है. अब एकजुट होने का समय आ गया है. मंच से कहा गया कि 20 हजार किसानों के साथ पहले विधानसभा को घेरा जाएगा. इसके बाद दिल्ली लोकसभा को घेरा जाएगा. इसके लिए जल्द की बैठक कर तारीख निर्धारित की जाएगी.

किसानों से मंच से रखी ये मांगें-
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बने
- पूरे भारत में किसानों का कर्ज माफ किया जाए
- किसान आयोग का गठन किया जाए
- किसानों के लिए मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा हो
- देश में एक समान पांच हजार प्रति माह बुढ़ापा पेंशन हो

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