नई दिल्ली:जय-जवान, जय-किसान का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर सोमवार को हजारों की संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से किसान दिल्ली के विजय घाट पर जुटे. भारतीय किसान यूनियन (अम्बवता) की ओर से आयोजित 'किसान सम्मान दिवस' पर किसानों ने लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. किसानों ने इस दौरान सरकार के समक्ष अपनी पांच मांगें रखीं.
भारतीय किसान यूनियन (अम्बवता) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बवता ने कहा कि आज सरकार किसानों से डर रही है. किसानों के लिए काम करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि देने के लिए आ रहे किसानों को गाजियाबाद समेत अन्य स्थानों पर रोक दिया गया. किसानों को टोपी व किसान यूनियन का झंडा उतारकर विजय घाट तक आना पड़ा. आजाद भारत मे क्या किसानों को इतनी भी आजादी नहीं है कि वह अपने नेता को नमन करने के लिए विजय घाट पर आ सकें ?
विजय घाट पर भाकियू अम्बवता की ओर से पिछले 25 साल से 2 अक्टूबर को किसान सम्मान दिवस का आयोजन किया जा रहा है. इस बार 15 राज्यों से किसान इस किसान सम्मान दिवस में शामिल हुए है. ऋषि पाल अंबावता ने कहा कि जो सरकार किसानों की मांगों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करेगी किसान उन्हीं को वोट करेंगे. भारतीय किसान यूनियन अंबावता के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष विकास प्रधान ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने हमेशा किसानों और जवानों को आगे बढ़ाने के बात की.
महाराष्ट्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व स्पीकर नाना भाऊ पटेले ने कहा कि आज सरकार किसानों की नहीं सुन रही है. तीन काले कानून के विरोध में लंबे समय तक किसानों का आंदोलन चला. लेकिन पीएम ने किसानों से बात नहीं की. देश के किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी कहा. महाराष्ट्र में किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं, यहाँ पर पीएम ने कहा था कि किसानों के फसल का दाम दोगुना करेंगे, स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करेंगे.