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'गुलजार देहलवी का चले जाना गंगा-जमुनी तहजीब का बड़ा नुकसान' - Gulzar Dehalvi Death

उर्दू शायर आनंद मोहन जुत्शी उर्फ गुलजार देहलवी के निधन पर उर्दू साहित्य से ताल्लुक रखने वालों में गम का माहौल है. इसी बीच पुरानी दिल्ली के एक शायर फरीद अहमद फरीद ने गुलजार देहलवी के निधन पर शोक प्रकट किया है.

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आनंद मोहन जुत्शी डेथ रिएक्शन

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Published : Jun 13, 2020, 12:49 PM IST

नई दिल्लीः उर्दू के नामवर शायर पंडित आनंद मोहन जुत्शी उर्फ गुलजार देहलवी के निधन पर उर्दू साहित्य से ताल्लुक रखने वालों में गम का माहौल है. सोशल मीडिया पर लोग उन्हें अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. इसी बीच पुरानी दिल्ली के एक शायर फरीद अहमद फरीद ने गुलजार देहलवी के निधन पर शोक प्रकट किया है.

गुलजार देहलवी के निधन पर उर्दू साहित्य जगत में शौक!

फरीद अहमद फरीद ने कहा कि हम हिंदू-उर्दू एकता ट्रस्ट के नाम से एक संस्था चलाते हैं. जिसके हर प्रोग्राम में गुलजार देहलवी शामिल होते थे. इसके अलावा उनके निवास पर हर महीने एक अदबी बैठक होती थी, जिसमें वो मुझे बुलाते थे.

शायर फरीद अहमद फरीद ने कहा कि गुलजार देहलवी का इस तरह दुनिया से चले जाना उर्दू शायरी के साथ भारत की गंगा जमनी तहजीब का भी बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई आसान नहीं होगी.

नोएडा में शुक्रवार को हो गया था निधन

वरिष्ठ उर्दू शायर का शुक्रवार, 12 जून को निधन हो गया. वह 93 साल के थे. पांच दिन पहले ही उन्होंने कोरोना को हराया था. उनका निधन नोएडा स्थित उनके आवास पर हुआ. खबर के मुताबिक, 7 जून को उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट दोबारा नेगेटिव आई थी. इसके बाद उन्हें घर वापस लाया गया था.

आजादी के आंदोलन में भी रहे थे शामिल

देहलवी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आजादी के आंदोलन भी अपना योगदान दिया था. आंदोलने के दौरान उन्होंने कई जलसों में अपनी शायरी से जोश भरा. जवाहरलाल नेहरू भी उनकी शायरी के मुरीद हुआ करते थे. उर्दू शायरी और साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया था.

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