नई दिल्ली: दिल्ली सरकार 9 मार्च को अपना बजट पेश करने जा रही है. आम लोगों के साथ-साथ प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों को भी इस बजट से खास उम्मीदें हैं. प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों के लिए बजट में क्या कुछ होना चाहिए. इसको लेकर ईटीवी भारत ने कुछ प्रवासी श्रमिकों से बात की.
'लौटना पड़ा अपने गृह नगर'
लॉकडाउन लागू होने के साथ ही दिहाड़ी मजदूरों और लेबरों का जिंदगी मुश्किलों से घिर गई. तमाम पाबंदियों के बावजूद मजदूर अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही सड़कों पर निकल पड़े. जब इन मजदूरों की कमाई का कोई जरिया नहीं बचा तो इन्होने ऐसे समय में अपने गृह नगर या गांव जाने का रास्ता चुना क्योंकि ऐसा करने से उनके जीवित रहने की संभावनाओं को भी बल मिला.
'मंडरा रहा है रोजगार का खतरा'
वर्तमान समय में में आर्थिक रूप से अक्षम इन प्रवासी मजदूरों के सामने दो समस्याएं मंडरा रही हैं. पहली है उनका रोजगार छिन जाना और दूसरा उनके कोरोना वायरस के संपर्क में आने का डर. बिना रोजगार इन गरीब मजदूरों के लिए दिल्ली जैसे शहर में जीवनयापन करना नामुमकिन है और वो भी तब जब उनके पास रहने के लिए छत तक ना हो या वो अपने पूरे परिवार के साथ फुटपाथ पर सो रहे हों.
'राशन-पानी की हो व्यवस्था'
भागलपुर के रहने वाले जमालुद्दीन दिल्ली में ठेला खींच कर अपने परिवार सहित जीवन यापन करते हैं. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही रोजगार नहीं मिल रहा. मुश्किल से 50 से 100 रुपये की आमदनी होती है. बजट से हमें उम्मीद है कि हमें राशन-पानी मिल सके और हमारे लिए कोई रोजगार की व्यवस्था हो. क्योंकि लॉकडाउन के बाद से ही बाजार में रोजगार नहीं है. कभी-कभी 3 दिन तक हमें कोई काम नहीं मिलता. इतने पढ़े-लिखे नहीं हैं कि कोई नौकरी कर सकें. इसलिए बजट में हमारे लिए भी सरकार कुछ सोचे.
'हमारे लिए बजट में हों विशेष प्रावधान'
सोशल एक्टिविस्ट शबनम खान ने बताया कि कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने प्रवासी श्रमिक और बेरोजगारों के लिए अच्छा काम किया, लेकिन इससे ज्यादा की जरूरत थी. अब जबकि बजट पेश होने जा रहा है तो ऐसे में दिल्ली सरकार को बजट में प्रवासी श्रमिकों की बेहतरी के लिए कुछ विशेष प्रावधान करने चाहिए.