नई दिल्ली: प्रकृति का संरक्षण हर मनुष्य की जिम्मेदारी है. आज भी भारतीय आदिवासी समुदाय ने प्रकृति को अपनी गोद में संरक्षित रखा है. ऐसे ही आदिवासियों और उनके रहन सहन के तरीकों को दर्शाने वाली एक मूर्तिकला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. दिल्ली के लोदी रोड स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में 'शांति निकेतन की झलक' नाम की प्रदर्शनी में स्टील की धातु से बनी 60 के करीब मूर्ति कलाओं को डिस्प्ले किया गया है.
प्रदर्शनी की सेल्फ क्यूरेटर, चित्रकार और मूर्तिकार किरन दीक्षित थापर ने बताया कि वह अपनी शादी के बाद लंदन चली गई थी. जहां उन्होंने अपने जीवन के 30 साल बिताए. अपने पति को मृत्यु के उपरांत वह पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन शहर में रहने लगी. यह एक आदिवासी बहुल जगह है. उन्होंने कहा कि मेरा काम अधिकतर आलंकारिक है. सभी प्रकार की आकृतियां मुझे प्रेरित करती हैं. शांति निकेतन का खूबसूरत परिवेश मेरी अधिकांश रचनात्मक गतिविधियों का शुरुआती बिंदु रहा है. मैं बहुत अधिक तामझाम के बिना विषय के सार को पकड़ने की कोशिश करती हूं.