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खुले मन से सरकार किसानों से करे बात नहीं तो आंदोलन रहेगा जारीः योगेंद्र यादव - योगेंद्र यादव किसान आंदोलन

किसान आंदोलन के नेतृत्व करने वालों में से एक किसान नेता और स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस आंदोलन से घबराई हुई है.

talk with social activist yogendra yadav on farmer movement
किसान आंदोलन पर सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव से बातचीत

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Published : Nov 27, 2020, 4:51 PM IST

Updated : Nov 27, 2020, 5:32 PM IST

नई दिल्लीः किसान कानून का विरोध करते हुए विभिन्न संगठनों की अगुवाई में जिस तरह पंजाब, हरियाणा, यूपी समेत अन्य राज्यों के किसान दिल्ली में आकर बिल का विरोध करना चाहते हैं, इससे दिल्ली की सीमाओं पर भी झड़प की स्थिति उत्पन्न हो गई है. किसान आंदोलन के नेतृत्व करने वालों में से एक किसान नेता और स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव को गुरुवार को हरियाणा में हिरासत में ले लिया गया था. आज वह वे दोबारा किसानों के साथ दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं.

किसान आंदोलन पर सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव से बातचीत

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार घबराई हुई है. साल 2011 में नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर एक कानून बना दिया जाए. अब सत्ता में काबिज सरकार क्यों अपनी बात से पीछे हट रही है.

'किसान विरोधी हैं केंद्रीय किसान बिल'

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर किसानों को दिल्ली आने का अनुरोध किया है. क्या इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई जवाब आया इस पर योगेंद्र यादव ने कहा कि अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उन्होंने कहा कि किसान कानून से अगर किसानों का भला होता तो 50 दिनों से देशभर के किसान सड़कों पर नहीं होते. वह दिल्ली में आकर विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, केंद्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं. तो क्या वजह है कि उन्हें नहीं आने दिया जा रहा है.

'डरी हुई है केंद्र सरकार'

योगेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार सरकार डरी हुई है क्योंकि जो किसान कानून लागू किया गया है, वह किसान विरोधी है. जो बात अब देश भर के किसान समझ चुके हैं. भारतीय किसान संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन समेत कई संगठन इसमें शामिल हैं. हमारी पहली मांग प्रधानमंत्री से यह है कि किसानों को बेरोकटोक दिल्ली आने दिया जाए.

दूसरी मांग है कि उन पर वाटर कैनन आदि का इस्तेमाल गलत है. आंसू गैस के गोले छोड़ने का कोई मतलब नहीं है. एक जगह किसानों को दिल्ली में दी जाए अपनी बात रखने के लिए. हमारी तीसरी मांग यह है कि बिना देरी किए हुए सरकार किसान बिल पर किसानों से बात करें. उनकी जो बातें हैं हैं वह तुरंत सुनी जाए.

'सरकारी तरीके से न हो काम'

केंद्र सरकार द्वारा किसानों को 3 दिसंबर को वार्ता के लिए बुलाए जाने पर योगेंद्र यादव ने कहा कि अगर सरकार समझती है कि ऐसी घड़ी में भी सरकारी तरीके से काम करना है, तो यह गलत है. किसान इतनी दूर से आ रहे हैं. वह संकल्प लेकर आ रहे हैं और पंजाब के किसान तो मन बना कर आ रहे हैं.

'किसानों के साथ किया जाने वाला सलूक गलत'

किसानों से जिस तरह का सलूक किया जा रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है. संविधान दिवस पर अपने संवैधानिक अधिकार मांगने के लिए आ रहे किसानों के साथ दुर्व्यवहार गलत है. पंजाब के किसान अपने देश की राजधानी में आना चाहते हैं, तो क्या अधिकार है हरियाणा को कि वह तय करें कि वह कब मिलेंगे या नहीं मिलेंगे? क्या कल राजस्थान तय करेगा कि वहां के किसान मिलने आ सकते हैं या नहीं? या देश की संघीय भावना का सरासर उल्लंघन है. अगर रोका भी है, तो किस तरीके से सड़क को तोड़ा गया ताकि किसान सड़क पार ना कर सके यह दुर्भाग्यपूर्ण है.

'आंदोलन रहेगा जारी'

योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. हम लोग डेढ़ महीने पहले इसका ऐलान कर चुके थे कई बार चिट्ठी लिख चुके हैं प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रूट तक बता दी. मगर इसका इस्तेमाल सिर्फ पुलिस के जरिए किसानों को रोकने के लिए सरकार ने किया है. इस सूचना का इस्तेमाल सरकार ने इंतजाम करने के लिए नहीं किया. वह पहले से सोच कर बैठी थी कि दिल्ली में किसानों को नहीं आने देना है.

इस आंदोलन को किस शर्त पर पड़ाव दिया जा सकता है कि किसानों के साथ एक सरकार का उच्च प्रतिनिधि मंडल बैठक करें और जो बिल में किसानों के हित की बात नहीं है उसे दूर किया जाए. किसान तो चाहेंगे कि वे खेती करें. अगर सरकार खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है, तो किसान सरकार ने पिछले 2 दिनों में जो रवैया दिखाया है वह ठीक नहीं है. वह खुले मन से किसानों से बात करें और किसानों का जो गुस्सा है और उनकी जो आशंका है उसे दूर करें. देश में किसानों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. आज की जो मंडी व्यवस्था है वह ठप हो जाएगी इसको उन्मूलन करने की सरकार कोशिश करें.

Last Updated : Nov 27, 2020, 5:32 PM IST

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