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यमुना के पानी में कितना माइक्रोप्लास्टिक, पर्यावरण विभाग लगाएगा पता

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Published : Aug 2, 2022, 9:47 AM IST

Updated : Aug 2, 2022, 12:31 PM IST

दिल्ली में यमुना नदी का पानी दिन पर दिन जहरीला होता जा रहा है. यमुना के पानी में जहरीले रसायन, प्रदूषण और कचरे की वजह से हर साल झाग की समस्या देखी जा सकती है. इसी को लेकर दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने यमुना में झाग, भूजल व यमुना के पानी में माइक्रोप्लॉस्टिक की मौजूदगी और सिंगल यूज प्लास्टिक पर तीन अलग-अलग शोध कराने की योजना तैयार की है.

microplastic in yamuna
microplastic in yamuna

नई दिल्ली: दिल्ली से गुजर रही यमुना के पानी और भूजल में माइक्रोप्लास्टिक की स्थिति का पता लगाया जाएगा. पर्यावरण विभाग अन्य संस्थानों के साथ मिलकर स्टडी करेगा. पानी में ना सिर्फ माइक्रोप्लास्टिक बल्कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक और यमुना में झाग को लेकर भी स्टडी कराई जाएगी. इस स्टडी से मिली जानकारियों के आधार पर दिल्ली में इस समस्या को खत्म करने के प्लान तैयार होंगे. पर्यावरण विभाग ने इस स्टडी के लिए संस्थानों से रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आमंत्रित किया है. 31 अगस्त तक संस्थानों का चयन कर लिया जाएगा.

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक अनुमान है कि वर्ष 1950 से अब तक दुनिया भर में सिर्फ 9 फीसद प्लास्टिक रीसायकल हो पाया है. जबकि आधा प्लास्टिक लैंडफिल साइट और अन्य जगहों पर पड़ा हुआ है. यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है. वर्ष 2019-20 में भारत में 3.4 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ है. दिल्ली में होने वाले इस स्टडी में विभिन्न तरह के रासायनिक तत्वों का पता लगाया जाएगा कि कुल प्लास्टिक कचरे में इनकी भूमिका पिछले 3 सालों में कितने रही है. इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादों की कैटेगरी देखकर उन्हें रीसायकल करने का काम तैयार होगा. इन उत्पादों के सस्ते विकल्पों को लाने का प्लान भी बनाया जाएगा.

यमुना के पानी में झाग, जहरीले रसायन, प्रदूषण और कचरे की वजह से यमुना में हर साल झाग की समस्या दिखती है. झाग की एक वजह फास्फेट की अधिकता भी है. इस स्टडी में इसकी वजह और यमुना में नालों से मिलने वाली पानी की स्टडी होगी. सबसे प्रदूषित नाले नजफगढ़ ड्रेन की ढांसा से लेकर वजीराबाद तक की स्टडी होगी और यह पता लगाया जाएगा कि झाग क्यों और कैसे बन रहा है? इस स्थिति में औद्योगिक क्षेत्र आदि में यमुना में आ रहे कचरे की भी स्टडी होगी.

जानिए क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक ?

माइक्रोप्लास्टिक वातावरण में प्लास्टिक कचरे के बेहद छोटे टुकड़े होते हैं. जो कि विभिन्न तरह के उपभोक्ता उत्पादों और औद्योगिक कचरा से टूटकर बनते हैं. यानि प्लास्टिक के ब्रेक डाउन होने या टूटने से पैदा होते हैं. जिनका साइज 5 मिलीमीटर से भी कम होता है. माइक्रोप्लास्टिक में कई तरह के केमिकल होते हैं जो कि इंसानों तथा पूरे वातावरण के लिए हानिकारक है. यह कैंसर जैसी बीमारियां दे सकती हैं. यह डीएनए को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं.

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Last Updated : Aug 2, 2022, 12:31 PM IST

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