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दिल्ली में फिर टूटा बिजली की मांग का रिकॉर्ड, जानिए, कितनी पहुंची बिजली की मांग

दिल्ली में बढ़ती गर्मा के कारण बिजली की खपत बढ़ गई है. शुक्रवार दोपहर इस सीजन की सबसे ज्यादा 7398 मेगावाट खपत पहुंच गई. अधिकारियों ने इससे भी अधिक होने के अनुमान व्यक्त किया है.

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Published : Jul 21, 2023, 7:25 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली में लगातार बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की खपत भी बढ़ती जा रही है. शुक्रवार दोपहर को इस साल की पीक पावर डिमांड ने जून का रिकॉर्ड तोड़ दिया. बिजली अधिकारियों के अनुसार, दोपहर 3.10 बजे बिजली की डिमांड 7398 मेगावाट तक पहुंच गई. गुरुवार को भी बिजली की डिमांड सात हजार मेगावाट से अधिक रही थी. जबकि, जून में सर्वाधिक डिमांड 7098 मेगावाट रही थी.

बिजली अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले 22 मई को दिल्ली में बिजली की खपत 6400 मेगावाट को पार कर गई थी. 23 मई को दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 6900 मेगावाट तक पहुंच गई थी. इसके बाद फिर बारिश होने से बिजली की मांग घट गई थी. नौ जून को बिजली की मांग 6497 मेगावाट रही थी. जून के पहले सप्ताह में भी मांग कम रही. पिछले वर्ष एक जून में अधिकतम मांग 65 सौ से 69 सौ मेगावाट तक रही थी. इसकी तुलना में 55 सौ मेगावाट से नीचे मांग दर्ज हुई. पिछले दो दिनों से इसमें बढ़ोतरी हो रही है. इस माह पहली बार आठ जून को अधिकतम मांग छह हजार मेगावाट से ऊपर पहुंची थी.

और बढ़ सकती है बिजली की खपतः अधिकारियों का कहना है कि अगर इसी तरह दिल्ली के तापमान में बढ़ोत्तरी जारी रही या तापमान 35 से नीचे नहीं आया तो बिजली की खपत में और बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि, अभी भी बिजली की खपत उपलब्धता से कम है. इसलिए बिजली संकट या पावर कट का अंदेशा नहीं है. दिल्ली में बिजली वितरण की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर है, इनमें प्रमुख रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप की कंपनी बीएफ यस यमुना पावर लिमिटेड राजधानी पावर लिमिटेड सहित अन्य कई कंपनियां बिजली वितरण करती हैं.

इन कंपनियों को कुछ बिजली दिल्ली सरकार के बिजली घरों से मिलती है. इसके अलावा कुछ बिजली सौर ऊर्जा से मिलती है और बाकी बिजली यह कंपनियां दूसरे राज्यों से खरीद कर दिल्ली में उपलब्ध कराती हैं. दिल्ली बिजली उत्पादन को लेकर के पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं है. दिल्ली के बिजली घरों में जितनी बिजली का उत्पादन होता है उससे कहीं अधिक दिल्ली में बिजली की खपत है. दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली फ्री होने के कारण भी सरकार को बिजली कंपनियों को राजस्व से काफी राशि देनी होती है.

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