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दिल्ली में इस साल सर्वाधिक पहुंची बिजली की मांग, टूटा बिजली की खपत का रिकॉर्ड, आप भी जानें

दिल्ली में गर्मी बढ़ने के साथ ही बिजली की खपट बढ़ गई है. मंगलवार दोपहर 3:29 बजे खपत 7,000 मेगावाट को पार कर गई. ऐसा इस साल अब तक नहीं हुआ था.

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Published : Jun 13, 2023, 9:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में लगातार बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की खपत बढ़ती जा रही है. मंगलवार को इस साल की पीक पावर डिमांड सर्वाधिक पहुंच गई. बिजली अधिकारियों के अनुसार, शाम को बिजली की खपत ने नए साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. दोपहर 3:29 बजे बिजली की खपत दिल्ली में 7000 मेगावाट को पार कर गई और खपत बढ़कर 7098 मेगावाट पर पहुंच गई.

बिजली अधिकारियों के अनुसार, इससे पहले 22 मई को दिल्ली में बिजली की खपत 6400 मेगावाट को पार कर गई थी. 23 मई को दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग 6900 मेगावाट तक पहुंच गई थी. इसके बाद फिर बारिश होने से घट गई थी. नौ जून को बिजली की मांग 6497 मेगावाट रही थी. जून के पहले सप्ताह में भी मांग कम रही. पिछले वर्ष एक जून में अधिकतम मांग 65 सौ से 69 सौ मेगावाट तक रही थी. इसकी तुलना में 55 सौ मेगावाट से नीचे मांग दर्ज हुई. पिछले दो दिनों से इसमें बढ़ोतरी हो रही है.

अभी पावर कट जैसे हालात नहींः बिजली अधिकारियों के अनुसार, इस माह पहली बार आठ जून को अधिकतम मांग छह हजार मेगावाट से ऊपर पहुंची थी. बिजली अधिकारियों का कहना है कि अगर इसी तरह दिल्ली के तापमान में बढ़ोत्तरी जारी रही या तापमान 35 से नीचे नहीं आया तो बिजली की खपत में और बढ़ोत्तरी होगी. हालांकि, अभी भी बिजली की खपत उपलब्धता से कम है. इसलिए बिजली संकट या पावर कट का अंदेशा नहीं है.

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निजी हाथों में है बिजली व्यवस्थाः दिल्ली में बिजली वितरण की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर है. इनमें प्रमुख रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज ग्रुप की कंपनी बीएफ यस यमुना पावर लिमिटेड राजधानी पावर लिमिटेड सहित अन्य कई कंपनियां बिजली वितरण करती हैं. इन कंपनियों को कुछ बिजली दिल्ली सरकार के बिजली घरों से मिलती है. इसके अलावा कुछ बिजली सौर ऊर्जा से मिलती है और बाकी बिजली यह कंपनियां दूसरे राज्यों से खरीद कर दिल्ली में उपलब्ध कराती हैं.

दिल्ली बिजली उत्पादन को लेकर के पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं है. दिल्ली के बिजली घरों में जितनी बिजली का उत्पादन होता है, उससे अधिक दिल्ली में बिजली की खपत है. दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली फ्री होने के कारण भी सरकार को बिजली कंपनियों को राजस्व से काफी राशि देनी होती है.

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