नई दिल्ली: इन दिनों राजधानी दिल्ली में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं. कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के कारण में रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं और बीच सड़क खून बहाने से भी नहीं कतराते. ऐसे इन सभी प्रमुख गैंगों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. आखिर क्यों उनके बीच रंजिश शुरू हुई और इनकी वजह से अब दिल्ली में क्या हालात हैं.
मंजीत महाल की गलती से शुरू हुई रंजिश
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मंजीत महाल और कपिल सांगवान उर्फ नंदू के बीच खूनी गैंगवार की कहानी कई सालों से चल रही है. वर्ष 2015 में मंजीत महाल की एक गलती के चलते दोनों गैंग के बीच में शुरू हुई रंजिश अब खूनी जंग का रूप ले चुकी है. बता दें कि दोनों तरफ से अब तक दिल्ली में दर्जन भर से ज्यादा हत्याएं हो चुकी है. दिल्ली में पहली बार ऐसी गैंगवार हो रही है जिसमें परिवार के सदस्यों से लेकर समर्थकों तक को नहीं बख्शा जा रहा. हाल ही में टिक-टॉक स्टार मोहित मोर की हत्या भी इसी गैंगवार का नतीजा थी.
कपिल सांगवान को डॉन कृष्ण पहलवान का सपोर्ट था
पुलिस सूत्रों की मानें तो कपिल सांगवान को कभी नजफगढ़ के सबसे बड़े डॉन कृष्ण पहलवान का सपोर्ट था. दरअसल मंजीत महाल ने कृष्ण के भाई भरत सिंह की वर्ष 2015 में हत्या की है. इसलिए ये माना जा रहा है कि कृष्ण और कपिल का एक ही दुश्मन है मंजीत महाल जो अभी तिहाड़ जेल में बंद है. मंजीत महाल अपने साथियों प्रदीप सोलंकी, नफे सिंह उर्फ मंत्री के साथ मकोका के तहत जेल में बंद है. लेकिन वहां रहते हुए भी वो अपना गैंग चला रहा है.
जीजा की हत्या से शुरू हुई रंजिश
29 दिसंबर 2015 में नजफगढ़ इलाके में कपिल सांगवान के जीजा सुनील उर्फ डॉक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्या को मंजीत महाल के सबसे खास शूटर नफे सिंह उर्फ मंत्री ने अपने साथियों अशोक और प्रदीप सोलंकी के साथ अंजाम दिया था. दरअसल उन्होंने सुनील को विकास लगरपुरिया का जीजा समझकर मारा क्योंकि उससे उनकी रंजिश चल रही थी.