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एक भूल से शुरू हुई गैंगवार की खौफनाक कहानी, कहीं उजड़ा सुहाग तो कहीं छिन गया पिता का साया

कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के कारण रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं.

गैंगस्टरों की तस्वीर

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Published : Jun 5, 2019, 6:57 PM IST

Updated : Jun 5, 2019, 11:57 PM IST

नई दिल्ली: इन दिनों राजधानी दिल्ली में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं. कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के कारण में रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं और बीच सड़क खून बहाने से भी नहीं कतराते. ऐसे इन सभी प्रमुख गैंगों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. आखिर क्यों उनके बीच रंजिश शुरू हुई और इनकी वजह से अब दिल्ली में क्या हालात हैं.

मंजीत महाल की गलती से शुरू हुई रंजिश
दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मंजीत महाल और कपिल सांगवान उर्फ नंदू के बीच खूनी गैंगवार की कहानी कई सालों से चल रही है. वर्ष 2015 में मंजीत महाल की एक गलती के चलते दोनों गैंग के बीच में शुरू हुई रंजिश अब खूनी जंग का रूप ले चुकी है. बता दें कि दोनों तरफ से अब तक दिल्ली में दर्जन भर से ज्यादा हत्याएं हो चुकी है. दिल्ली में पहली बार ऐसी गैंगवार हो रही है जिसमें परिवार के सदस्यों से लेकर समर्थकों तक को नहीं बख्शा जा रहा. हाल ही में टिक-टॉक स्टार मोहित मोर की हत्या भी इसी गैंगवार का नतीजा थी.

कपिल सांगवान को डॉन कृष्ण पहलवान का सपोर्ट था
पुलिस सूत्रों की मानें तो कपिल सांगवान को कभी नजफगढ़ के सबसे बड़े डॉन कृष्ण पहलवान का सपोर्ट था. दरअसल मंजीत महाल ने कृष्ण के भाई भरत सिंह की वर्ष 2015 में हत्या की है. इसलिए ये माना जा रहा है कि कृष्ण और कपिल का एक ही दुश्मन है मंजीत महाल जो अभी तिहाड़ जेल में बंद है. मंजीत महाल अपने साथियों प्रदीप सोलंकी, नफे सिंह उर्फ मंत्री के साथ मकोका के तहत जेल में बंद है. लेकिन वहां रहते हुए भी वो अपना गैंग चला रहा है.



जीजा की हत्या से शुरू हुई रंजिश

29 दिसंबर 2015 में नजफगढ़ इलाके में कपिल सांगवान के जीजा सुनील उर्फ डॉक्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्या को मंजीत महाल के सबसे खास शूटर नफे सिंह उर्फ मंत्री ने अपने साथियों अशोक और प्रदीप सोलंकी के साथ अंजाम दिया था. दरअसल उन्होंने सुनील को विकास लगरपुरिया का जीजा समझकर मारा क्योंकि उससे उनकी रंजिश चल रही थी.

इस हत्या का बदला लेने के लिए उसी रात कपिल सांगवान ने घुम्मनहेड़ा स्थित नफे सिंह के घर पर हमला किया. इसमें उसके पिता हरिकृष्ण की मौत हो गई जबकि उसकी मां और पत्नी गोली लगने से घायल हो गई थी.



इसके बाद शुरू हुआ हत्याओं का सिलसिला
जनवरी 2016 में पुलिस ने सुनील उर्फ डॉक्टर की हत्या के मामले में धर्मेंद्र को गिरफ्तार किया. इसके कुछ दिन बाद ही कपिल और उसके साथियों ने धर्मेंद्र के पिता-भाई को मौत के घाट उतार दिया. उधर नफे सिंह को अपने पिता की हत्या में विजेन्द्र पर मुखबिरी का शक था. मई 2016 में उसने 50 से ज्यादा गोली मारकर विजेन्द्र की हत्या कर दी. इसके बाद अक्टूबर 2016 में नफे ने कपिल सांगवान से जुड़े विजय लाला की हत्या कर दी.

मंजीत महाल के पिता की हुई हत्या
बता दें कि दोनों तरफ से चल रही गैंगवार में एक-दूसरे के परिवार के लोगों की हत्याओं का दौर लगातार चल रहा है. अक्तूबर 2016 में ही कपिल सांगवान ने घर के बाहर मंजीत महाल के पिता श्रीकृष्ण की गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्या का बदला लेने के लिए मंजीत ने 29 जनवरी 2017 को पिता की हत्या में शामिल विक्रांत गुलिया और दिनेश उर्फ मंगू को मार डाला. हाल ही में मंजीत महाल ने द्वारका मोड़ पर अपने गैंग से दूरियां बना रहे प्रवीण गहलोत की विकास दलाल से हत्या करवा दी. इस वारदात में विकास भी मौके पर ही मारा गया था.

मंजीत महाल गैंग से नजदीकी में मारा गया मोहित

बीते 21 मई को नजफगढ़ इलाके में गोली मारकर मोहित मोर की हत्या कर दी गई. मोहित के टिक टोक पर पांच लाख फॉलोवर्स थे. इस मामले में जब एक आरोपी को पकड़ा गया तो पता चला कि इस हत्या को जेल में बंद कपिल सांगवान के इशारे पर अंजाम दिया गया है. दरअसल, मारा गया मोहित मोर जेल में बंद मंजीत महाल के कुछ गुर्गों के साथ उठता-बैठता था. इतना ही नहीं कपिल सांगवान की नजर में वो मंजीत महाल का मुखबिर था.

Last Updated : Jun 5, 2019, 11:57 PM IST

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