नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली उन राज्य में सबसे ऊपर शुमार है जहां प्रदूषण सबसे अधिक है. दिल्ली एनसीआर में ई-कचरा और मेडिकल कचरा कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन रहा है. आइए जानते हैं ई- कचरा और मेडिकल कचरे से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में.
क्या कहती है 'एसोचैम' की रिपोर्ट
एसोचैम की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली- एनसीआर में सालाना 85 हजार मैट्रिक टन से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा होता है. वहीं दूसरी ओर मेडिकल कचरे की बात करें तो ये आंकड़ा 5900 टन तक पहुंचता है. रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में साल 2020 तक ई-कचरे की मात्रा में काफी इजाफा होगा. स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही दिल्ली के लिए ये बेहद की चिंताजनक बात है.
दिल्ली के लिए खतरनाक हो रहा है ई-कचरा
क्या है ई-कचरा और मेडिकल कचरा
अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कंप्यूटर, लैपटॉप, फ्रीज, टीवी, वॉशिंग मशीन लाइट, वायर सहित तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं. वहीं मेडिकल कचरे में इंजेक्शन, दवाइयां, और सर्जरी के उपकरण शामिल हैं.
कैंसर जैसी बीमारी के लिए जिम्मेदार
मैक्स अस्पताल की मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर मोनिका महाजन ने बताया कि लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को उनकी उपयोगिता समाप्त होने के बाद यूं ही फेंक देते हैं. ये सारा उपकरण बाकी कचरे के साथ इधर-उधर फैल जाता है. विभिन्न माध्यमों से होता हुआ ये कचरा सिंचित क्षेत्रों में जाता है और फिर खाद्य पदार्थों के जरिए आसानी से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है.
धीरे-धीरे ये लोगों को कैंसर जैसी घातक बीमारियों का शिकार बना लेता है. वहीं मेडिकल कचरा लोगों को संक्रमण जनित बीमारियों का शिकार बनाता है