ETV भारत ने बाढ़ राहत कैंप का किया दौरा. नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में भले ही बरसात ने अपने कदम पीछे कर लिए हैं. लेकिन यमुना में पानी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. यमुना में जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे रहने वाले लोग अपना घर छोड़कर सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं, क्योंकि उनका घर यमुना में समाहित हो चुका है. सरकार की तरफ से दावा किया गया कि बाढ़ प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है. लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली.
दरअसल, आईटीओ स्थित रैनी वेल नंबर 7 पर कुछ परिवार को रखा गया है. यहां कई परिवार हैं जिन्होंने खुद से रहने का इंतजाम किया. यहां पर सरकार की तरफ से बस कुछ टेंट लगाए गए हैं. यहां के लोगों की संख्या को देखते हुए ये नाकाफी लग रहा है. यहां पानी के लिए लोगों को दिल्ली जलबोर्ड के पानी पर निर्भर होना पड़ रहा है. बिजली नहीं मिलने से रात में अंधेरा इनके बच्चों को डरा रहा है.
सरकार की टेंट से पानी टपकता है:हाथी बस्ती में रहने वाले 51 वर्षीय लालमन ने बताया कि यहां पर जैसे तैसे हम लोग यहां आए हैं. सरकार की तरफ से रेस्क्यू कर नहीं लाया गया है. जब यमुना में पानी बढ़ा तो कुछ लोग सड़क के इस तरफ आए और कुछ दूसरी तरफ गए. यहां जो टेंट लगे हैं वह भी कुछ ही सरकार ने लगवाई है. बाकी हम लोगों ने अपनी तिरपाल लगाई है. सरकार के टेंट से पानी टपकता है. उन्होंने सरकार से आर्थिक मांग करते हुए कहा कि हमारे लिए खाने के लिए भोजन, पीने के लिए पानी और बिजली की व्यस्था की जाए. उन्होंने बताया कि वह मजदूरी का काम करते थे. दिन में 350 रूपए कमा लेते थे. यमुना में जलस्तर बढ़ने से सप्ताह दिन से बेरोजगार हैं.
सरकार से लगाई मदद की गुहार: यमुना खादर से परिवार को निकालकर आए 24 साल के समनजीत ने बताया कि वह होटल लाइन और खेती बारी करते हैं. यमुना में पानी आने से नौकरी नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि पानी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. यहां पर खाने के लिए भोजन सिर्फ सुबह मिला, जिसमें चावल और छोले थे. यहां बैठे अन्य लोगों ने कहा कि पहले झुग्गी तोड़ दी गई. इसके बाद यमुना में बाढ़ के खतरे ने परेशान कर दिया है बहुत दुखी हैं. कोई नेता सुध लेने नहीं आया है. यहां लोग अव्यस्था के बीच रहने को मजबूर हैं. बस खानापूर्ति हो रहा है. हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मदद करें.