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World Heart Day: दिल्ली में हर साल औसतन 15 हजार से अधिक लोगों की मौत हार्ट अटैक सेः डॉ. प्रेम अग्रवाल - 15 thousand people die every year in Delhi

दिल्ली में हार्ट रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं इससे मरनेवाले मरीजों की भी संख्या बढ़ रही है. दिल्ली स्थित संजीवन अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेम अग्रवाल ने इस बीमारी के होने और इससे होने वाली समस्या के बारे में विस्तार से बताया. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 29, 2023, 7:36 AM IST

Updated : Sep 29, 2023, 7:55 AM IST

डॉ. प्रेम अग्रवाल

नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के कारण हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है. हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने के कारण दिल्ली में अधिकतर मौतें भी हृदय रोग के कारण ही हो रही है. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि लोगों को हृदय रोग या हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है. जब भी किसी को हार्ट अटैक आता है तो वह उसके लक्षणों को नहीं पहचानता और उपचार करने में लापरवाही कर देता है. इस वजह से मरीज की मौत हो जाती है. इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है. इस दिन पूरी दुनिया में लोगों को हृदय रोगों के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोगों को हृदय रोग उनके कारण, निवारण, लक्षण आदि के बारे में जागरूक किया जाता है.

दिल्ली में अक्टूबर के महीने में प्रदूषण की समस्या चरम पर होती है. पंजाब, हरियाणा सहित दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में धान की पराली जलाने से उसका धुआं हवा में गंभीर प्रदूषण पैदा कर देता है, जिसके चलते करीब दो ढाई महीने तक दिल्ली की हवा अत्यंत खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाती है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब श्रेणी में रहता है और अधिकतर समय 400 के पार रहता है. इसके चलते सरकार को कई तरह की पाबंदियां लगानी पड़ती हैं, जिससे प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके. तमाम उपायों के बावजूद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं होता और यह प्रदूषण सांस के जरिए लोगों के फेफड़े और हृदय में पहुंचकर हार्ट संबंधी बीमारियों को जन्म देता है.

विश्व हृदय दिवस के मौके पर आईए जानते हैं कि दिल्ली में क्या है हृदय रोगियों की स्थिति और कितनी मौतें हृदय रोग की वजह से हो रही हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के संजीवन अस्पताल के निदेशक एवं हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रेम अग्रवाल से बात की.

सवालः शहरों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में हार्ट के मरीजों की संख्या अधिक बढ़ रही है. दिल्ली सहित अन्य मेट्रो सिटी में भी यही स्थिति है, इसका क्या कारण है?
जवाबःगांव की तुलना में शहरों में लोगों का जीवन ज्यादा भागदौड़ भरा होता है, जिसके चलते उनकी दिनचर्या खराब रहती है. समय पर खाना, समय पर सोना और एक्सरसाइज करना यह सब नहीं हो पता है, जिसकी वजह से लोगों को हार्ट की बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती है. एक बड़ा शहर होने के कारण दिल्ली में भी इसी वजह से हार्ट के रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जाती है.

सवालः हार्ट अटैक का बड़ा कारण क्या है? इसके क्या लक्षण होते हैं? लक्षण महसूस होने पर क्या करना चाहिए?
जवाब:हार्ट अटैक से पहले सीने में दर्द, शरीर में दर्द के साथ थकान, चक्कर आना, हार्टबीट का बढ़ना, सांस फूलना, सीने में जकड़न महसूस होना आज शामिल है. यह लक्षण महसूस होने पर लापरवाही नहीं करनी चाहिए और डॉक्टर के पास जाकर जांच करानी चाहिए जिससे की हार्ट अटैक की स्थिति का पता चल सके और समय पर इलाज लिया जा सके.

सवालः हार्ट अटैक की स्थिति में गोल्डन पीरियड किसे कहते हैं? गोल्डन पीरियड में अगर मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो क्या उसकी जान बच सकती है?
जवाबःहार्ट अटैक होने पर पहले एक घंटा बहुत ही कीमती होता है. इस एक घंटे के अंदर अगर मरीज को अस्पताल पहुंचा दिया जाए और उसे इलाज मिल जाए तो निश्चित तौर पर उसकी जान बच सकती है. इस पहले एक घंटे को ही गोल्डन पीरियड कहते हैं, जिसके अंदर मरीज का अस्पताल में पहुंचना बहुत जरूरी होता है.

सवालः दिल्ली में हर साल अक्टूबर की शुरुआत से लेकर पूरे नवंबर महीने तक भीषण प्रदूषण रहता है और यहां की हवा खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाती है. इससे हार्ट की बीमारी होने का कितना खतरा है?
जवाब: प्रदूषण भी इस बीमारी के होने का एक कारण है. इसके अलावा मोटापा, हाइपरटेंशन, शुगर, ब्लड प्रेशर भी हार्ट की बीमारी होने का कारण होते हैं. यह सारी चीज खान-पान और खराब दिनचर्या के कारण पैदा होती हैं. दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी होने के चलते बड़ी संख्या में यहां पर अधिक प्रदूषण होता है. वाहनों का प्रदूषण, फैक्ट्री का प्रदूषण अधिक होता है जो लोगों की सेहत पर सीधे असर डालता है.

जवाबः पहले 40 या 50 साल की उम्र के लोगों को ही हार्ट अटैक आता था. लेकिन अब 15, 20 या 25 साल तक के लोगों को भी हार्ट अटैक हो रहा है. इसका क्या कारण है?
जवाबःपहले लोग जंक फूड और फास्ट फूड बहुत ही कम खाते थे. प्रदूषण भी कम होता था. लेकिन, अब फास्ट फूड और जंक फूड खाने का जितना चलन बीते सालों में बढ़ गया है. उतना पहले कभी नहीं था. आजकल के बच्चे बचपन से ही जंक फूड और फास्ट फूड जमकर खाते हैं. शहरों में बच्चों के माता-पिता उनको नाश्ते में शुरू से ही ब्रेड खिलाते हैं. बाजार में जाने पर पिज्जा, बर्गर, सैंडविच, चाऊमीन और पेटीज आदि खिलाना आम बात हो गई है. यही सारी चीजें कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाती है. यह आगे चलकर आर्टिरीज में ब्लॉकेज का कारण बनती हैं और छोटी उम्र के बच्चों को भी हार्ट अटैक आ जाता है. शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के तीन प्रमुख कारण हैं.

सवाल: हार्ट की किस तरह की बीमारी लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक आता है?
जवाब:दिल्ली या पूरे देश में हर जगह सबसे अधिक हार्ट के मरीजों में कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) की बीमारी देखने को मिलती है. शरीर के अलग-अलग अंगों में खून की आपूर्ति करने वाली धमनियों में जब ब्लॉकेज हो जाती है तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज की स्थिति बनती है. इसी की वजह से हार्ट अटैक आता है. हार्ट अटैक तब आता है जब खून की आपूर्ति करने वाली धमनी या आर्टरी फट जाती है और लोगों को उसका पता नहीं चलता. आगर थोड़ी बहुत परेशानी होती है तो लोग उसको अनदेखा कर देते हैं और समय पर इलाज नहीं लेते यही मौत कारण बनता है. अधिकतर लोग बिना लक्षण वाली कोरोनरी आर्टरी डिजीज की चपेट में आ रहे हैं.

सवाल: दिल्ली में हार्ट के मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में किस तरह की सुविधाएं हैं? क्या वह पर्याप्त हैं?

जवाबःदिल्ली में हार्ट अटैक और हार्ट की अन्य बीमारियों के लिए पूरी तरह समर्पित अस्पताल एकमात्र जीबी पंत अस्पताल है, जिसके ऊपर दिल्ली ही नहीं देश के अन्य लोगों से आने वाले मरीजों के इलाज का भी काफी बोझ रहता है. इसके अलावा एम्स, सफदरजंग और आरएमएल में भी हार्ट के मरीजों का इलाज है, लेकिन इन अस्पतालों में और भी बीमारियों का इलाज होता है, जिसकी वजह से वहां मरीजों की ज्यादा भीड़ रहती है. इससे इलाज में समय लगता है. प्राइवेट हॉस्पिटल में हार्ट अटैक का इलाज काफी महंगा है. इसमें एक बार में 4 से 5 लाख रुपए का खर्चा आ जाता है. इसलिए आम आदमी वहां इलाज नहीं कर पता है.

सवालः दिल्ली में हार्ट अटैक या हार्ट संबंधी बीमारियों से हर साल हो कितनी मौतें हो रही है?
जवाबः राजधानी दिल्ली में पिछले 13 साल के आंकड़ों को देखें और औसत निकालें तो हर साल हार्ट की बीमारियों से 15,057 लोगों की मौत हो रही है. यह सभी आंकड़े दिल्ली सरकार के आर्थिक एवं सांख्यकी निदेशालय की वेबसाइट पर दिए गए हैं. दिल्ली सरकार का यह विभाग हर साल दिल्ली में होने वाले जन्म और मृत्यु के आंकड़े जारी करता है. मौत के कारणों में बीमारी का भी जिक्र इस रिपोर्ट में किया जाता है.

दिल्ली में पिछले 13 सालों में हार्ट अटैक से हुई मौतें

वर्ष मौतें
2010 8236
2011 10694
2012 11724
2013 11522
2014 10880
2015 12680
2016 16665
2017 17840
2018 20169
2019 20201
2020 16189
2021 29546
2022 9395

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