नई दिल्ली:वर्ल्ड किडनी डे पर ऐसी कहानी बताते हैं, जो लॉकडाउन के दौरान हुई है. कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में लोग घरों में बंद हो गए थे. अस्पतालों की ओपीडी सेवा भी बंद थी. ऐसे में एक गरीब मरीज अपने खराब हो चुके दोनों किडनी के इलाज के लिए बत्रा अस्पताल गया. वहां उस मरीज की मुलाकात डॉ. मुखर्जी से हुई. डॉ. मुखर्जी ने न सिर्फ मरीज के कोरोना का इलाज किया, बल्कि किडनी ट्रांसप्लांट कर उसे एक नई जिंदगी दी.
'किडनी खराब और कोरोना से मौत के करीब'
25 साल का युवक विकास एक निजी कंपनी में काम करता था. अपनी किडनी के इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटकने वाले विकास की नौकरी लॉकडाउन की वजह से तो गई ही, साथ ही वह कोरोना से भी साथ पीड़ित हो गया. किसी के कहने पर दक्षिण दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल बत्रा हॉस्पिटल में इलाज के लिए गए, लेकिन इस अस्पताल में इलाज करा पाना उनके बस की बात नहीं थी. यहां उनकी मुलाकात नेफ्रोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉक्टर डी मुखर्जी से हुई. उन्होंने इस मरीज का न सिर्फ इलाज किया, बल्कि 'आउट ऑफ टर्न' जाकर उसकी गरीबी का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी और उनसे प्रधानमंत्री राहत कोष से मदद करने की अपील की, लेकिन इसी बीच विकास कोरोना से पीड़ित हो गए. उनके लिए यह कोढ़ में खाज की तरह था. एक के बाद एक परेशानियां झेलते हुए विकास परेशान हो गए. परेशानी की इस अवस्था में डॉक्टर मुखर्जी ने बत्रा अस्पताल में ही उनके कोरोना का भी इलाज किया.
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डॉ. मुखर्जी खुद मरीज के बारे में बताते हैं कि विकास बहुत ही गरीब परिवार से थे. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हमारे पास आए थे, लेकिन बदकिस्मती से जून के महीने में वह कोरोना से पीड़ित हो गए. ऐसे में विकास को अस्पताल में भर्ती किया और उसके कोरोना का इलाज किया. कोरोना का इलाज के बाद जब टेस्ट किया तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आयी. थोड़ी मेहनत करके प्रधानमंत्री से मदद के लिए उन्हें चिट्ठी लिखी. प्रधानमंत्री ने इस गरीब मरीज की काफी आर्थिक मदद की. विकास का किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा. आज वह और उसकी डोनर मां दोनों ही स्वस्थ और सुरक्षित हैं.
इलाज के लिए अस्पताल दर अस्पताल भटके