नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने श्रमिकों को उनके घरों तक छोड़ने के लिए दिल्ली सरकार से 300 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार ने इन बसों को चलाने के लिए अनुमति नहीं दी है.
केजरीवाल सरकार और कांग्रेस आमने-सामने शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर
उत्तर प्रदेश से शुरू हुई बसों की सियासत अब दिल्ली पहुंच चुकी है. इसको लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस और दिल्ली सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. एक तरफ जहां दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का आरोप है कि दिल्ली कांग्रेस ने श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार से 300 बस चलाने की अनुमति मांगी थी. लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार की तरफ से इसकी अनुमति नहीं दी गई है.
कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि इससे पहले भी प्रदेश कांग्रेस की ओर से लगभग 90 हजार श्रमिकों की सूची दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को सौंपी गई थी. लेकिन अभी तक भी उस सूची पर कोई कार्रवाई दिल्ली सरकार की ओर से नहीं की गई है. जबकि अभी के समय दिल्ली में हजारों की संख्या में श्रमिक फंसे हुए हैं, जो अपने घरों को लौटना चाहते हैं.
कांग्रेस दफ्तर बना शेल्टर होम
आपको बता दें कि श्रमिकों को हो रही समस्याओं को देखते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने दफ्तर के एक बड़े हिस्से को शेल्टर होम में तब्दील कर दिया है. जहां उनके रहने से लेकर उन्हें स्क्रीनिंग सेंटर तक भेजने की व्यवस्था की जा रही है कांग्रेस पार्टी के अधिकारियों द्वारा की जा रही है.