नई दिल्लीःदिल्ली नगर निगम की हाल ही में की गई एक सर्वे के मुताबिक इस साल राजधानी दिल्ली में मादा क्यूलेक्स मच्छरों का घनत्व सबसे ज्यादा पाया गया है. बता दें कि ये वही मच्छर है, जिसने कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बच्चों में दिमागी बुखार की बीमारी फैलाई थी और इस बीमारी के चलते सैकड़ों बच्चों की जान चली गयी थी. उसी दिमागी बुखार यानी कि इंसेफेलाइटिस का खतरा इस समय दिल्ली में बढ़ सकता है.
'हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करना आवश्यक'
यह बीमारी क्या है? इसके लक्षण? और इससे बचाव के क्या कुछ तरीके हैं? इसको लेकर ईटीवी भारत ने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कन्वीनर डॉ. वीके मोंगा से खास बातचीत की. डॉ मोंगा ने बताया कि मौजूदा समय में जब हम पहले ही एक खतरनाक बीमारी से लड़ रहे हैं और उसका प्रकोप इतना बढ़ चुका है कि उससे बचाव के लिए कई उपाय ढूंढने जा रहे हैं. ऐसे में यदि दूसरी बीमारी आती है, तो यह हमारे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
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'नॉर्थ और साउथ एमसीडी में मादा क्यूलेक्स मच्छरोंकी संख्या सबसे ज्यादा'
डॉ. मोंगा ने कहा कि सरकार और सभी सिविक बॉडीज को चाहिए कि वह जरूरी एहतियाती कदम उठाएं और केवल कोरोना के चलते अन्य बीमारियों को नजरअंदाज ना किया जाए. इन बीमारियों से बचाव और इन्हें फैलने से रोकने के लिए भी जरूरी इंतजाम किए जाने आवश्यक है. उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम की रिपोर्ट चिंताजनक है, जिसमें कहा गया है कि इस साल मादा क्यूलेक्स मच्छरों की संख्या नॉर्थ और साउथ एमसीडी में सबसे ज्यादा पाई गई है और यह संख्या 6 से 7 गुना ज्यादा है.