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NCR में तेज हुई कुम्हारों के चाक की रफ्तार, बाजार में दीयों की काफी डिमांड, धड़ाधड़ मिल रहे ऑर्डर - दिवाली की रौनक

दीपावली के नजदीक आते ही कुम्हार दीये (potter made diyas on diwali) बनाने के काम में तेजी से जुट गए हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी दिवाली भी रोशन रहेगी. पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने दिवाली की रौनक छीन ली थी. कुम्हारों को उम्मीद है कि इस साल दिवाली पर अच्छी बिक्री होगी.

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घूमने लगे कुम्हारों के चाक

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Published : Oct 20, 2022, 10:49 PM IST

Updated : Oct 21, 2022, 12:07 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिवाली के त्योहार (Diwali Festival in NCR) में अब चंद दिन बाकी हैं. ऐसे में कुम्हार मिट्टी को आकार देने में जुटे हुए हैं. कुम्हारों का चाक लगातार घूम रहा है. कुम्हार लगातार दीए और मिट्टी के बर्तन ((potter made diyas on diwali) बना रहे हैं. पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने दिवाली की रौनक छीन ली थी. काम भी सुस्त था, लेकिन इस साल कुम्हारों के चेहरे पर रौनक (smile on the faces of the potters) है. कुम्हारों को उम्मीद है कि इस साल दिवाली पर अच्छी बिक्री होगी. कुम्हार अपने परिवार के साथ दिवाली का सामान बना रहे हैं.

गाजियाबाद के नवयुग मार्केट स्थित कुमारों की बस्ती में इन दिनों काफी रौनक देखने को मिल रही है. कुम्हारों की बस्ती में प्रवेश करते ही पीली मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं. जिसके आसपास बैठकर कुम्हार मिट्टी को आकार दे रहे हैं. कुम्हारों के घरों के बाहर ही दीपक को और मिट्टी के बर्तनों के ढेर लगे हुए हैं. दरअसल कुम्हारों की बस्ती से अधिकतर व्यापारी दीपक और मिट्टी का सामान बाजार में बेचने के लिए खरीदते हैं.

व्यापार पकड़ रहा रफ्तार

सतीश प्रजापति कई दशकों से मिट्टी के बर्तन, दीपक आदि बनाने का काम करते आ रहे हैं. दरअसल सतीश का ये पुश्तैनी काम है. सतीश बताते हैं कि बीते कई सालों के मुकाबले इस साल काम के हालात बहुत बेहतर हैं. बीते दो सालों के दौरान कोरोना के चलते काम पर काफी असर पड़ा. मौजूदा समय में अच्छे खासे आर्डर मिल रहे हैं.

बाजार में बढ़ी डिमांड

उन्होंने बताया होलसेल के दर्जनों आर्डर दिवाली से कई महीने पहले मिल गए थे. जुलाई के पहले हफ्ते से ही दिवाली के लिए दीपक-मिट्टी के बर्तन आदि बनाने शुरू कर दिए थे. काम के हालात काफी अच्छे हैं तो ऐसे में 8 से 10 घंटे हर दिन काम कर माल तैयार करना पड़ रहा है. होलसेल के साथ रिटेल में भी बिक्री हो रही है. लोगों का रुझान चाइनीस आइटम से अब हटने लगा है. बीते सालों के मुकाबले इस साल बाजार में माल का उठान बहुत अच्छा है.

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जुलाई से कर रहे काम

छह दशकों से अधिक से मिट्टी को आकार देते आ रहे खेमचंद की उम्र तकरीबन 73 वर्ष है. बुढ़ापे में भी खेमचंद हर दिन 8 से 10 घंटे चौक पर गुजारते हैं. वह बताते हैं कि बाजार में इस साल मिट्टी के बर्तन और दीपक की काफी अच्छी मांग है. ऐसे में जुलाई के पहले हफ्ते से ही दिवाली की तैयारियां शुरू कर दी गई थी. हर दिन तकरीबन पांच हजार दीपकों की बिक्री हो रही है. आने वाले दिनों में और बढ़ने की उम्मीद है. सुबह सूरज निकलने के बाद से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. पहले मिट्टी को छानते हैं. उसके बाद मिट्टी को पानी मिलाकर गिला किया जाता है और अच्छे से गूंधा जाता है. इसके बाद चाक पर बैठकर मिट्टी का सामान तैयार किया जाता है.

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Last Updated : Oct 21, 2022, 12:07 PM IST

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