नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिवाली के त्योहार (Diwali Festival in NCR) में अब चंद दिन बाकी हैं. ऐसे में कुम्हार मिट्टी को आकार देने में जुटे हुए हैं. कुम्हारों का चाक लगातार घूम रहा है. कुम्हार लगातार दीए और मिट्टी के बर्तन ((potter made diyas on diwali) बना रहे हैं. पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने दिवाली की रौनक छीन ली थी. काम भी सुस्त था, लेकिन इस साल कुम्हारों के चेहरे पर रौनक (smile on the faces of the potters) है. कुम्हारों को उम्मीद है कि इस साल दिवाली पर अच्छी बिक्री होगी. कुम्हार अपने परिवार के साथ दिवाली का सामान बना रहे हैं.
गाजियाबाद के नवयुग मार्केट स्थित कुमारों की बस्ती में इन दिनों काफी रौनक देखने को मिल रही है. कुम्हारों की बस्ती में प्रवेश करते ही पीली मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं. जिसके आसपास बैठकर कुम्हार मिट्टी को आकार दे रहे हैं. कुम्हारों के घरों के बाहर ही दीपक को और मिट्टी के बर्तनों के ढेर लगे हुए हैं. दरअसल कुम्हारों की बस्ती से अधिकतर व्यापारी दीपक और मिट्टी का सामान बाजार में बेचने के लिए खरीदते हैं.
सतीश प्रजापति कई दशकों से मिट्टी के बर्तन, दीपक आदि बनाने का काम करते आ रहे हैं. दरअसल सतीश का ये पुश्तैनी काम है. सतीश बताते हैं कि बीते कई सालों के मुकाबले इस साल काम के हालात बहुत बेहतर हैं. बीते दो सालों के दौरान कोरोना के चलते काम पर काफी असर पड़ा. मौजूदा समय में अच्छे खासे आर्डर मिल रहे हैं.
बाजार में बढ़ी डिमांड
उन्होंने बताया होलसेल के दर्जनों आर्डर दिवाली से कई महीने पहले मिल गए थे. जुलाई के पहले हफ्ते से ही दिवाली के लिए दीपक-मिट्टी के बर्तन आदि बनाने शुरू कर दिए थे. काम के हालात काफी अच्छे हैं तो ऐसे में 8 से 10 घंटे हर दिन काम कर माल तैयार करना पड़ रहा है. होलसेल के साथ रिटेल में भी बिक्री हो रही है. लोगों का रुझान चाइनीस आइटम से अब हटने लगा है. बीते सालों के मुकाबले इस साल बाजार में माल का उठान बहुत अच्छा है.