नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 2024 के आम चुनावों से पहले लोकसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को अनिवार्य करने वाले महिला आरक्षण विधेयक को लागू कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. इसके पहले याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी. उस वक्त जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की सिंगल बेंच ने 15 दिसंबर को कहा था कि याचिकाकर्ता का इसमें कोई व्यक्तिगत हित नहीं है और उन्हें इसे लेकर एक जनहित याचिका दाखिल करनी चाहिए.
वहीं कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस कानून को संसद ने पारित किया है. कोर्ट उसे कैसे पलट सकता है. वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि अब ये विधेयक कानून बन गया है. कानून में कहा गया है कि ये परिसीमन के बाद ही प्रभावी हो पाएगा. तब कोर्ट ने कानून के प्रावधान पर गौर करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता इस कानून को जल्द लागू करवाना चाहते हैं तो इसके लिए कानून के प्रावधान में बदलाव करना होगा. कोर्ट इस कानून की धारा 334ए का उल्लंघन नहीं कर सकता है, जिसमें इसे परिसीमन के बाद लागू करने की बात कही गई है, जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली.