नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधीन दिल्ली में काम करने वाली एजेंसियों के लिए निर्देश जारी किया है. इसमें कहा गया कि एजेंसियां यह सुनिश्चित करें कि पर्यावरणीय लागत सहित प्रत्येक परियोजना का विवरण निर्माण स्थलों पर प्रदर्शित हो. भारत संघ द्वारा किए जा रहे निर्माण परियोजना का विवरण जिसे पर्यावरणीय लागत भी कहते हैं, उनके अंतर्गत काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या, क्षतिपूर्ति पौधरोपण का स्थान, निर्माण स्थल पर दर्शाया जाना चाहिए. साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि शहरी विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर से कम के अधिकारी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं बनाया जाना चाहिए.
एजेंसी का भी नाम होगा शामिल: न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने हाल में ही एक आदेश में कहा कि जानकारी में निर्माण कार्य करने वाली नागरिक एजेंसी का नाम भी शामिल होगा. अदालत का यह निर्देश 2011 में केंद्रीय सूचना आयोग के फैसले को लागू करने की मांग करने वाली एक याचिका पर आया, जिसमें अधिकारियों को ऐसा करने का निर्देश दिया गया था.
इसके तहत पेड़ों की कटाई और छंटाई के लिए दी गई अनुमतियों का विवरण, पेड़ों की संख्या, स्थान और इस उद्देश्य के लिए प्राप्त आवेदनों की स्थिति के साथ ही अवैध कटाई और छटाई पर प्राप्त शिकायतों का विवरण भी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया. सीआईसी ने सभी नागरिक एजेंसियों को निर्देश भी दिया था किसी भी निर्माण कार्य को मौद्रिक लागत और परियोजना के विवरण, पर्यावरणीय लागत, काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या और क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के स्थान के साथ प्रदर्शित किया जाना चाहिए.