नई दिल्ली: साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित छह दिवसीय साहित्योत्सव के पांचवें दिन के मुख्य आयोजनों में चार परिचर्चाएँ, इंडो-कज़ाक लेखक सम्मेलन, पूर्वोत्तरी, एलजीबीटीक्यू और राष्ट्रीय संगोष्ठी थी. परिचर्चाओं के विषय थे- सिनेमा और साहित्य, भारत में आदिवासी समुदायों के महाकाव्य, डिजिटल दुनिया में प्रकाशन, मीडिया, न्यू मीडिया और साहित्य.
सिनेमा और साहित्य परिचर्चा के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध तमिल सिने गीतकार एवं लेखक वैरमुत्तु थे तथा इसमें रत्नोत्तमा सेन गुप्ता की अध्यक्षता में प्रख्यात पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज, विनोद भारद्वाज, अजित राय और प्रदीप सरदाना शामिल हुए. रत्नोत्तमा सेनगुप्ता ने कहा कि देश में अभी फिल्म लिटरेसी की आवश्यकता है. इसके बेहतर होने पर ही साहित्य और सिनेमा के रिश्तों में उल्लेखनीय सुधार और बदलाव आएगा.
वेद प्रताप वैदिक को दी गई श्रद्धांजलिः मीडिया, न्यू मीडिया और साहित्य विषयक परिचर्चा का उद्घाटन वक्तव्य प्रख्यात पत्रकार वेद प्रताप वैदिक को देना था, लेकिन कल यानी मंगलवार को अचानक हुए उनके निधन के कारण सभी ने उन्हें एक मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी और आलोक मेहता की अध्यक्षता में सईद अंसारी, अंकुर डेका, प्रभात रंजन, बालेदु शर्मा दाधिच ने अपने विचार व्यक्त किए. द्वितीय सत्र मुकेश भारद्वाज की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. इसमें इरफान, ओंकारेश्वर पांडेय, शेखर जोशी एवं मा शर्मा ने अपने-अपने विचार प्रकट किए.