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नए भारत को संविधान में संशोधन करने और उसे विकास के अनुरूप ढालने का अधिकार होना चाहिए: राम बहादुर राय - पत्रकार राम बहादुर राय

पत्रकार राम बहादुर राय की पुस्तक 'भारतीय संविधान: अनकही कहानी' पर बुधवार को चर्चा का आयोजन किया गया. यह चर्चा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद स्टडी सर्किल द्वारा आयोजित किया गया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 24, 2023, 7:53 AM IST

नई दिल्ली:अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद स्टडी सर्कल ने बुधवार को पत्रकार राम बहादुर राय की पुस्तक 'भारतीय संविधान: अनकही कहानी' पर एक पुस्तक चर्चा का आयोजन किया. पुस्तक चर्चा में राम बहादुर राय, एबीवीपी उत्तरी क्षेत्र के सह-संगठन मंत्री आनंद श्रीवास्तव तथा वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय की प्रोफेसर सीमा सिंह उपस्थित थीं. रामबहादुर राय की पुस्तक 'भारतीय संविधान: अनकही कहानी' इस बात का लेखा-जोखा है कि भारत के संविधान निर्माण में क्या-क्या हुआ तथा यह किताब उन घटनाओं का भी खुलासा करती है जिनके कारण भारत का संविधान बना.

राम बहादुर राय द्वारा लिखित पुस्तक 'संविधान निर्माण के अनकही इतिहास' को सामने लाने और लोगों में जिज्ञासा की भावना पैदा करने का एक प्रयास है. एबीवीपी दिल्ली स्टडी सर्कल एक ऐसा समूह है जिसका उद्देश्य परिसरों में छात्रों के लिए बौद्धिक मानसिकता की भावना पैदा करना और उन्हें ज्ञान विमर्श का माहौल प्रदान करना है. इसने हाल ही में एक अभियान 'लीड द स्टडी सर्कल' लॉन्च किया है, जो कॉलेजों को मौजूदा स्टडी सर्कल के साथ प्रगति करने का अवसर प्रदान करेगा और अपने परिसरों में नए स्टडी सर्कल स्थापित करने का अवसर भी प्रदान करेगा.

क्या बोले पुस्तक के लेखक
राम बहादुर राय ने कहा, "भारतीय संविधान के इतिहास को जानने के लिए स्वतंत्रता संग्राम के पीछे के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण है. इसे दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया था: क्रांतिकारी दृष्टिकोण और अहिंसा दृष्टिकोण. अंग्रेजों ने संविधान में एक नई दृष्टिकोण लाकर आजादी की लड़ाई का दमन कर भारत का विभाजन किया. अगर ऐसा नहीं होता तो आज भारत का विभाजन नहीं होता.

एबीवीपी उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय सह-संगठन मंत्री आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि संविधान के बारे में परिसरों में एक नाकारात्मक कहानी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे छात्रों के बीच भ्रामक और अस्पष्टता का माहौल पैदा हो रहे है. ऐसे में सही दिशा प्रदान करने के लिए हर परिसर में संविधान और न्यायपालिका के विषयों पर औपचारिक और अनौपचारिक चर्चा आयोजित की जानी चाहिए.

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