नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों को रोके जाने के केंद्र सरकार के फैसले के मद्देनजर दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह एयरपोर्ट के पास कोरोना से जुड़े नए खतरे को देखते हुए कोरोना की जांच और क्वारंटाइन की सुविधाओं के लिए विशेष कदम उठाए. जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि वो कोरोना के रैपिड एंटिजन टेस्ट के मुकाबले आरटी-पीसीआर (RT-PCR) टेस्ट से करने पर ज्यादा जोर दें. मामले पर अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी.
ये भी पढ़ें:-HC: 80 फीसदी ICU बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ सुनवाई आज
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने दावा किया कि कोरोना के मामलों में जिलास्तर पर गिरावट आई है. तब कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र के निर्देश के मुताबिक RT-PCR टेस्ट करने पर ज्यादा जोर दे. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह कोरोना से ठीक हुए लोगों की तकलीफों की जांच कर उससे जुड़े SOP तैयार करे ताकि ऐसे लोग सामन्य जिंदगी फिर से जी सकें.
कंटेंमेंट जोन बढ़ाना चाहती है दिल्ली सरकार
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील सत्यकाम ने कहा कि जिन जिलों में मामले ज्यादा मिले हैं, उन जिलों में वो कांटैक्ट ट्रेसिंग और कंटेंमेंट जोन बढ़ाना चाहती है. दिल्ली सरकार ने कहा कि 11 दिसंबर से 21 दिसंबर के बीच 8,71,234 लोगों के टेस्ट किए गए हैं. इनमें से 4,52,428 टेस्ट आरटी-पीसीआर से कराए गए थे.
RT-PCR टेस्ट की संख्या बढ़ रही है
पिछले 15 दिसंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि वो दिल्ली में बड़ी संख्या में कोरोना के RT-PCRटेस्ट कर रही है. दिल्ली सरकार ने बताया था कि उसने सभी मार्केट ट्रेड एसोसिएशंस से कहा है कि वे कोरोना से बचाव को लेकर जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का आदेश दिया है. पिछले 3 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोरोना की वजह से पूरी दिल्ली या दिल्ली के कुछ हिस्सों में फिलहाल नाइट कर्फ्यू लगाने की कोई योजना नहीं है. दिल्ली सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट दायर कर ये बताया था कि वो कोरोना से निपटने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है.
दिल्ली में कोरोना के मामलों की संख्या कम हुई
स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली में अब कोरोना के मामलों की संख्या कम हो गई है. दरअसल पिछले 26 नवंबर को हाईकोर्ट ने कोरोना के बढ़ते मामलों पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने पूछा था कि आप कैसे कह सकते हैं कि शादियों के लिए अतिथियों की संख्या को सीमित करने के आदेश का उल्लंघन नहीं हो रहा है. कोर्ट ने कहा था कि इस तरह शादियों की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसके लिए स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर लागू करना होगा. ये सुपर स्प्रेडर साबित हो सकते हैं, अभी शादियों का सीजन है. यह देखना होगा कि शादियों में 50 से ज्यादा लोग नहीं जुटें.
याचिकाकर्ता को कोरोना होने पर न बेड मिला न अस्पताल
11 नवंबर को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राकेश मल्होत्रा ने कहा था कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ और उन्हें न तो बेड मिला और न ही कोई अस्पताल. एक दोस्त की मदद से उन्हें एक नर्सिंग होम में भर्ती किया गया, जहां एक ऑक्सीमीटर के अलावा किसी ने कोई मदद नहीं की. याचिका में निजी और सरकारी अस्पतालों और लैब में कोरोना की पर्याप्त टेस्टिंग करने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है. पहले की सुनवाई के दौरान राकेश मल्होत्रा ने कोर्ट से कहा था कि दिल्ली के निजी अस्पतालों को भी कोरोना अस्पताल घोषित किया गया है. इन अस्पतालों को भी लक्षणों वाले मरीजों के साथ-साथ बिना लक्षणों वाले मरीजों का भी टेस्ट करने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है.