नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि सभी महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को हर महीने उनकी माहवारी के समय का वेतन सहित अवकाश दिया जाए. याचिका पर आज चीफ जस्टिस डीएन पटेल की बेंच के समक्ष सुनवाई होनी थी, लेकिन बेंच के नहीं बैठने के बाद सुनवाई टाल दिया गया. इस मामले पर अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी.
माहवारी के समय अवकाश की मांग 'केंद्र और दिल्ली सरकार के दफ्तरों में अच्छी तादाद में हैं महिलाएं'
याचिका दिल्ली लेबर युनियन ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजीव अग्रवाल ने कहा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार के दफ्तरों में महिलाकर्मियों की संख्या अच्छी-खासी है. वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में नौकरी कर रही हैं, चाहे वे कुशल श्रमिक के रूप में हो, अकुशल श्रमिक के रूप में या अधिकारी के रूप में. इन महिला श्रमिकों को स्थायी और अस्थायी या संविदा के आधार पर रोजगार दिया गया है.
'माहवारीमहिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत'
याचिका में कहा गया है कि महिलाओं की बायोलॉजिकल जरूरत की वजह से उन्हें बाकी कर्मचारियों से अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए. याचिका में मांग की गई है कि महिलाओं को माहवारी के समय अलग और स्वच्छ शौचालय की सुविधा देने के अलावा उन्हें कैजुअल लीव या वेतन सहित छुट्टी दी जाए. माहवारी के समय महिलाकर्मियों को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन देने की मांग की गई है.
'महिलाओं को अलग से कोई सुविधा नहीं दी जाती'
याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 15(3) के मुताबिक केंद्र और दिल्ली सरकार को महिलाओं के लिए अलग सुविधाएं दी जानी चाहिए, लेकिन सरकारें उन्हें अलग से कोई सुविधा नहीं देती हैं. महिला कर्मचारियों और श्रमिकों को पुरुष कर्मचारियों और श्रमिकों की तरह ही पेश आया जाता है. महिलाओं को महीने में चार से छह दिन माहवारी के दौर से गुजरना होता है, लेकिन उनके लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया जाता है.