नई दिल्ली:दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के लिए साल 2022 एक ऐसा साल रहा जो कई मायने में खास रहा. इस वर्ष अप्रैल में जब एमसीडी का चुनाव होना था, तब तीन नगर निगम को मिलाकर एक दिल्ली नगर निगम करने का फैसला लिया गया. परिसीमन की नोटिफिकेशन, उसके बाद तीन भागों में बंटी एमसीडी को एक कर 272 वार्डों को घटाकर 250 तक सीमित करना, नोटिफिकेशन में एमसीडी का केंद्र के अंतर्गत आना, एक के बाद एक फैसलों से पूरे साल एमसीडी सुर्खियों में रहा. इस बीच अप्रैल से लेकर दिसंबर महीने तक एमसीडी चुनावों का इंतजार लगा रहा. 15 साल के बाद बीजेपी की एमसीडी से विदाई और आप को बहुमत मिलना, दिल्ली एमसीडी में नई तस्वीर को दिखाता है.
2022 का यह साल अपने अंतिम पड़ाव में है, महज चंद दिनों के बाद नया साल दस्तक देने जा रहा है. यह पूरा साल तीन भागों में बंटी दिल्ली की सिविक एजेंसी साउथ, नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी के लिए काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा. जहां साल की शुरुआत से ही तीनों एमसीडी के कामकाज को लेकर बीजेपी, आप और कांग्रेस के बीच में जमकर जुबानी जंग होती नजर आई और खींचतान भी देखने को मिली, जिसके साथ वित्तीय बदहाली एक बड़ी समस्या बनी रही. वहीं संसद से लेकर सड़क तक एमसीडी के मुद्दे पर बहस भी देखी गई.
तीनों एमसीडी को एक किया जाना बड़ा फैसलाः इस सबके बीच अप्रैल में एमसीडी के प्रमुख चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग की प्रेस वार्ता से ऐन पहले एमसीडी के पुनःएकीकरण की खबर सामने आने के बाद केंद्र सराकर द्वारा संसद के अंदर तीन भागों में बंटी दिल्ली की एमसीडी को एकीकृत करने का प्रस्ताव पारित करना और परिसीमन की प्रक्रिया के मद्देनजर नोटिफिकेशन जारी करना, अपने आप में एक बड़ा निर्णय रहा, जिसके लिए इस साल को याद रखा जाएगा. हालंकि इस निर्णय पर आप और कांग्रेस के द्वारा ना सिर्फ लगातार कई सवाल उठाए गए बल्कि चुनाव में जानबूझकर देरी किए जाने को लेकर कई आरोप भी लगाए गए. इसके बाद अगले 6 महीने तक परिसीमन की प्रक्रिया का किया जाना. तीन भागों में 2012 में बांटी गई दिल्ली की एमसीडी को पुनः एकीकृत करना और 272 वार्ड की संख्या को घटाकर 250 वार्ड 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन कर बांटा गया.
250 वार्डों का खाका खींचा गयाः केंद्र द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिल्ली की एकीकृत एमसीडी नए स्वरूप में सामने आई, जिसे 250 वार्ड और 12 अलग-अलग जोन में बांटा गया है. चुनाव के मद्देनजर इन 250 वार्ड में से 104 वार्ड महिलाओं और 104 वार्ड पुरुष के लिए आरक्षित किए गए. वहीं 42 वार्ड को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया. दिल्ली एमसीडी के मद्देनजर किए गए नए सिरे से परिसीमन का आधार एक बार फिर 2011 की जनगणना को बनाया गया, जिसको लेकर आप और कांग्रेस के द्वारा विरोध भी जताया गए लेकिन सभी चीजों से पार पाते हुए परिसीमन को कुछ सुझावों पर अमल करते हुए उसमें सुधार कर लागू किया गया.
एमसीडी चुनाव की घोषणाः इसके बाद नवंबर के महीने में आचार संहिता लागू कर दिसंबर के महीने में चुनाव करवाने की तारीख घोषित कर दी गई. लगभग 1 महीने तक आप, कांग्रेस और बीजेपी के द्वारा पूरी ताकत के साथ राजधानी दिल्ली में एमसीडी चुनाव के मद्देनजर प्रचार प्रसार में भाग लिया गया, जिसके बाद 4 दिसंबर को दिल्ली के मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया लेकिन हर बार की तरह इस बार भी एमसीडी के इन चुनावों में दिल्ली की जनता का रुझान या फिर कहा जाए तो इंटरेस्ट कम ही दिखा और सिर्फ 50.39 फीसदी मतदान हुआ. यह पिछले दो बार के एमसीडी चुनावों से भी कम है.