नई दिल्ली: ऑनलाइन साइबर अपराध और अपराधियों ने दुनिया भर के सर्वर और कंप्यूटर ऑपरेटर पर निगरानी बनाए रखी है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन भारत हो या फिर दुनिया का कोई और देश, हर देश की खुफियां और जांच एजेंसियां इन ऑनलाइन साइबर ठगों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार बैठी है. इसके बावजूद यह साइबर अपराधी घर बैठे कहीं किसी दूसरी जगह पर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे देते हैं. देश में पहले जामताड़ा के साइबर ठगों ने लोगों के बैंक खातों में जमकर सेंधमारी की, लेकिन अब चिंताएं बढ़ रही हैं. क्योंकि विदेशी साइबर हैकर्स देश के कंप्यूटरों पर और सर्वर पर नजर जमाए बैठे हैं. इस साल दिल्ली एम्स पर साइबर अटैक अभी तक चर्चा में है तो इसके साथ ऑनलाइन ठगी के दर्जनों मामले भी साल भर सुर्खियों में रही. (Foreign cyber hackers stymied Indian agencies)
हाल ही में देश और दिल्ली की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था एम्स के सर्वर पर बड़ा साइबर अटैक हुआ और कई दिनों तक उस पर काबू नहीं पाया जा सका. इस साल हुई इंटरपोल बैठक में साइबर क्राइम का मुद्दा उठा. इंटरपोल की आम महासभा के बाद दुनिया भर में साइबर अपराध और अपराधी एक बार फिर से हर देश में चर्चा का विषय बन गए. देश की जांच और खुफिया एजेंसियों की मानें तो अब इन अपराधियों की नजरें भारतीय बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच चुकी हैं. अब तक देश में सामने आने वाले ऐसे साइबर क्राइम के ऑनलाइन ठगी के मामलों में मुख्य रूप से जामताड़ा और वहां पाले-पोसे जा रहे अपराधियों का नाम प्रचलित था. अब यह काम विदेशी ठगों ने शुरू कर दिया है. विशेषकर बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में, जो किसी भी देश के समग्र इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर व्यापक खतरा डालने के लिए काफी है. हालांकि एम्स के सर्वर पर हमले के बाद ऐजेंसी सतर्क हुई है.
एम्स जैसे जाने-माने और संवेदनशील संस्थान के सर्वर पर साइबर अटैक देश के कई सदस्यों के कामकाज पर भी सवाल खड़े करता है. एम्स के सर्वर में मौजूद अति गोपनीय डाटा भी दुश्मन देशों के हाथ में पड़ने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. साइबर हमले के बाद से ही देश की कई बड़ी एजेंसी सक्रिय हो गई हैं.
मामले की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र के सर्वर पर हमले में विदेशी साइबर हैकर्स की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. जहां तक उनकी जांच का सवाल है. अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता की हैकर्स का उद्देश्य क्या था? साथ ही सर्वर को हैक करने में किसकी भूमिका रही है.
विदेशों तक फैला है साइबर अपराधियों का जालःडिजिटलीकरण के इस आधुनिक दौर में साइबर अपराधियों की सोच और उनके हाथ घर बैठे ही कहां तक पहुंच चुके हैं, ऑनलाइन ठगी के इस अरबों-खरबों के काले कारोबार में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. साइबर अपराधी या फिर हैकर्स. एशिया में तो यही दोनों सबसे ज्यादा भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर को तबाह करने में जुटे हैं.
साइबर हैकिंग के मामले अब उत्तर अमेरिका से हटकर एशिया, प्रशांत क्षेत्र और यूरोप की ओर मुड़ चुके हैं. यह आंकड़ा कुल मामलों का 10 से 12 फीसदी तक हो सकता है.’ भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस के खिलाफ साइबर हमले बीते कुछ अरसे में ही कई गुना बढ़ चुके हैं. कम से कम वित्तीय वर्ष 2021-2022 में दर्ज साइबर अपराधों के आंकड़े तो यह साबित करने के लिए काफी ही है.