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Delhi Year Ender 2022 : विदेशी साइबर हैकर्स ने भारतीय एजेंसियों की नाक में किया दम

साल 2022 में विदेशी साइबर हैकर्स ने भारतीय सर्वरों पर जमकर हमला किया. इसके आगे पूरा भारतीय तंत्र पंगु बना रहा. एम्स के सर्वर पर हमला तो करीब महीने भर रहा. वहीं, जामताड़ा के ठगों ने भी जमकर सेंधमारी की. आइए इस साल के अंत में हम विभिन्न साइबर हमलों के बारे में डिटेल से जानते हैं. (Foreign cyber hackers stymied Indian agencies)

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Published : Dec 31, 2022, 6:01 AM IST

नई दिल्ली: ऑनलाइन साइबर अपराध और अपराधियों ने दुनिया भर के सर्वर और कंप्यूटर ऑपरेटर पर निगरानी बनाए रखी है. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन भारत हो या फिर दुनिया का कोई और देश, हर देश की खुफियां और जांच एजेंसियां इन ऑनलाइन साइबर ठगों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार बैठी है. इसके बावजूद यह साइबर अपराधी घर बैठे कहीं किसी दूसरी जगह पर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे देते हैं. देश में पहले जामताड़ा के साइबर ठगों ने लोगों के बैंक खातों में जमकर सेंधमारी की, लेकिन अब चिंताएं बढ़ रही हैं. क्योंकि विदेशी साइबर हैकर्स देश के कंप्यूटरों पर और सर्वर पर नजर जमाए बैठे हैं. इस साल दिल्ली एम्स पर साइबर अटैक अभी तक चर्चा में है तो इसके साथ ऑनलाइन ठगी के दर्जनों मामले भी साल भर सुर्खियों में रही. (Foreign cyber hackers stymied Indian agencies)

हाल ही में देश और दिल्ली की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था एम्स के सर्वर पर बड़ा साइबर अटैक हुआ और कई दिनों तक उस पर काबू नहीं पाया जा सका. इस साल हुई इंटरपोल बैठक में साइबर क्राइम का मुद्दा उठा. इंटरपोल की आम महासभा के बाद दुनिया भर में साइबर अपराध और अपराधी एक बार फिर से हर देश में चर्चा का विषय बन गए. देश की जांच और खुफिया एजेंसियों की मानें तो अब इन अपराधियों की नजरें भारतीय बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच चुकी हैं. अब तक देश में सामने आने वाले ऐसे साइबर क्राइम के ऑनलाइन ठगी के मामलों में मुख्य रूप से जामताड़ा और वहां पाले-पोसे जा रहे अपराधियों का नाम प्रचलित था. अब यह काम विदेशी ठगों ने शुरू कर दिया है. विशेषकर बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में, जो किसी भी देश के समग्र इकोनॉमिक डेवलपमेंट पर व्यापक खतरा डालने के लिए काफी है. हालांकि एम्स के सर्वर पर हमले के बाद ऐजेंसी सतर्क हुई है.

एम्स जैसे जाने-माने और संवेदनशील संस्थान के सर्वर पर साइबर अटैक देश के कई सदस्यों के कामकाज पर भी सवाल खड़े करता है. एम्स के सर्वर में मौजूद अति गोपनीय डाटा भी दुश्मन देशों के हाथ में पड़ने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. साइबर हमले के बाद से ही देश की कई बड़ी एजेंसी सक्रिय हो गई हैं.

मामले की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र के सर्वर पर हमले में विदेशी साइबर हैकर्स की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. जहां तक उनकी जांच का सवाल है. अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता की हैकर्स का उद्देश्य क्या था? साथ ही सर्वर को हैक करने में किसकी भूमिका रही है.

विदेशों तक फैला है साइबर अपराधियों का जालःडिजिटलीकरण के इस आधुनिक दौर में साइबर अपराधियों की सोच और उनके हाथ घर बैठे ही कहां तक पहुंच चुके हैं, ऑनलाइन ठगी के इस अरबों-खरबों के काले कारोबार में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. साइबर अपराधी या फिर हैकर्स. एशिया में तो यही दोनों सबसे ज्यादा भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस सेक्टर को तबाह करने में जुटे हैं.

साइबर हैकिंग के मामले अब उत्तर अमेरिका से हटकर एशिया, प्रशांत क्षेत्र और यूरोप की ओर मुड़ चुके हैं. यह आंकड़ा कुल मामलों का 10 से 12 फीसदी तक हो सकता है.’ भारतीय बैंकिंग फाइनेंशियल और इंश्योरेंस के खिलाफ साइबर हमले बीते कुछ अरसे में ही कई गुना बढ़ चुके हैं. कम से कम वित्तीय वर्ष 2021-2022 में दर्ज साइबर अपराधों के आंकड़े तो यह साबित करने के लिए काफी ही है.

अगर बात बीते छह महीनों के आंकड़ों की करें तो 2021 में साइबर हैकिंग की कुल 469 घटनाएं रिकॉर्ड (दर्ज) की गईं. जबकि, 2022 में (बीते छह महीनों में) बीएफएसआई में साइबर हैकिंग के करीब 283 मामले दर्ज हुए. इसमें सर्वाधिक मामले दिल्ली के अलग-अलग जिलों में दर्ज हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में हैकिंग के कुल मामलों में 7.4 फीसदी तो भारतीय उप-महाद्वीप में ही टारगेट किए गए थे. इस मामले में भारतीय संसद में भी सरकार द्वारा दिए गए जवाब में सामने आया कि 2020 से लेकर अब तक देश में 16 लाख से अधिक साइबर अपराध की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, जो डराने वाला है.

साइबर अपराध से बचने के लिए रहें जागरूकःदिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की आईएफएसओ (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन) के डीसीपी प्रशांत गौतम बताते हैं कि टेक्नोलोजी के इस दौर में दुनिया में ज्यादातर काम आज इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन हो रहे हैं, जिनमें पैसों के लेन-देन, कम्युनिकेशन, खरीदारी जैसे रोजमर्रा के काम शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर लोग भुगतान को लेकर ठगी के शिकार होते हैं. जिन्हें ठग कई तरह से, जैसे क्यूआर कोड, पेमेंट रिसीव करने का लिंक भेज कर पेमेंट एक्सेप्ट करने का झांसा, कार्ड अपग्रेड आदि के लिए ओटीपी-सीवीवी की जानकारी लेकर ठगी को अंजाम देते हैं. इसके अलावा नौकरी का झांसा, सोशल साइट पर फेक प्रोफाइल बना कर खुद को हाई प्रोफाइल और विदेश के सैटल होने का झांसा देकर, सॉफ्टवेयर अपग्रेड, मालवेयर फिक्स आदि के नाम पर भी लोग इसके शिकार हो रहे हैं.

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इससे बचने के लिए इस साल दिल्ली पुलिस ने सभी जिलों में साइबर थाने बनाए ताकि शिकायत करने में लोगों को सुविधा हो और जांच में तेज़ी आए. लोगों को संवेदनशील बना कर उन्हें इसके खिलाफ जागरूक किया गया. साइबर क्राइम जागरुकता दिवस पिछले साल से मनाया जा रहा है. साइबर क्राइम का शिकार होने पर क्या करना चाहिए, कहां शिकायत दर्ज कराएं? डीसीपी बताते हैं कि कि बैंक अकाउंट या लेनदेन में साइबर फ्रॉड हुआ है तो तत्काल 1930 पर रिपोर्ट कर सकते हैं. वहीं, दूसरे अन्य अपराधों के लिए आप www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट कर सकते हैं.

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