नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट दो अगस्त को आसिफ इकबाल तन्हा द्वारा 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित बड़ी साजिश में अपने कथित कबूलनामे के बयान को मीडिया में लीक करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने न्यायमूर्ति अमित शर्मा और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी द्वारा हाल ही में इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लेने के बाद इस मामले पर विचार करने का फैसला किया. तन्हा का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता सौजन्य शंकरन ने अदालत को अवगत कराया कि दिल्ली पुलिस, ज़ी न्यूज़ और ऑपइंडिया डॉट कॉम द्वारा इस मामले में दलीलें पूरी कर ली गई हैं. अदालत को यह भी बताया गया कि यूट्यूब और मेटा को नवंबर 2020 में पार्टियों की श्रेणी से हटा दिया गया था.
वकील ने प्रस्तुत किया कि हस्तक्षेप आवेदन एनबीएफ और एनबीडीए द्वारा दायर किए गए हैं और निपटान के लिए लंबित हैं. इसमें नोटिस जारी होना बाकी है. इसलिए कोर्ट ने कहा कि मामले को दो अगस्त को विचार के लिए निर्धारित किया जाए. बता दें कि हाल ही में जस्टिस भंभानी ने न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिकाओं के बाद मामले से खुद को अलग कर लिया था, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि मामले में एक फैसले से पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो सकती है और इससे पत्रकारों पर भी असर पड़ सकता है.
उल्लेखनीय है कि सवाल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से पहले, न्यायमूर्ति भंभानी ने मीडिया कानून में अभ्यास किया और एनबीडीए का प्रतिनिधित्व भी किया था.
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