नई दिल्लीः दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों से जुड़ा बिल संसद में पारित हो गया. यह बिल अनाधिकृत कॉलोनियों में सीलिंग की कार्रवाई करने से छूट देता है. बिल के पारित होने से करीब 40 लाख लोगों को फायदा होगा. सरकार ने इस बिल के माध्यम से दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ 3 साल का संरक्षण दिया है. यानी अब दिसंबर 2026 तक कार्रवाई नहीं हो सकेगी.
इससे पहले दिन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) अधिनियम, 2023 एक संक्षिप्त चर्चा के बाद लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया, जिसमें तीन सदस्यों ने भाग लिया. राज्यसभा में विधेयक पर बोलते हुए आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दिल्ली में समस्याएं मई 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले से थीं. इसका मेन कारण उपेक्षा था.
उन्होंने कहा, "यह कानून 2019 में अस्तित्व में आया. 2020 की शुरुआत में हम (कोविड-19) महामारी का सामना कर रहे थे. 2020 और 2021 की महामारी में कोई जमीनी स्तर पर काम नहीं किया जा सका. इन अनधिकृत कॉलोनियों में लगभग 40 लाख लोग रह रहे हैं. यदि एक औसत घर में चार सदस्य हैं तो हमें लगभग आठ से 10 लाख घरों को पंजीकृत करना होगा. हम पहले ही चार लाख कर चुके हैं. हमें और अधिक करने की जरूरत है.
पिछली सरकारों ने नहीं दिया ध्यानः मंत्री पुरी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों और देश के अन्य हिस्सों से लोग दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन पिछली सरकारों ने इस समस्या का समाधान नहीं किया. दिल्ली का भूमि क्षेत्र नहीं बदला है, लेकिन जनसंख्या 1947 में सात-आठ लाख से बढ़कर आज लगभग 2.5 करोड़ हो गई है. 20 साल पहले से समस्या दिखाई दे रही थी. दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय की कार्रवाई के कारण कांग्रेस सरकार 2006 में अनधिकृत कॉलोनियों को एक साल के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून लेकर आई. इस कानून को हर साल 2011 तक बढ़ाया गया और उसके बाद इसे तीन साल के लिए बढ़ाया गया और आज तक बढ़ाया जा रहा है.