नई दिल्लीःकौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों... दुष्यंत कुमार का यह शेर नजफगढ़ की 94 वर्षीय दादी की उपलब्धि पर सटीक बैठता है. ऐसी उम्र, जिसमें बीमारी और परेशानी के चलते बुजुर्गों की जिंदगी बोझ बन जाती है, उसमें दादी ने खेल में तीन अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतकर युवाओं को भी प्रेरणा दी और सिखाया है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती...
पोते को देखते-देखते सीख गई दौड़ और शॉटपुट, 94 की उम्र में स्प्रिंटर दादी ने जीते अंतरराष्ट्रीय मेडल - शायर दुष्यंत कुमार
94 की उम्र में अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में तीन-तीन मेडल जीतना किसी ख्वाब-सा है...लेकिन यह कारनामा किया है नजफगढ़ की स्प्रिंटर दादी ने, जिन्होंने फिनलैंड में वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश का नाम रोशन किया है. पढ़ें, स्प्रिंटर दादी से खास बातचीत..
![पोते को देखते-देखते सीख गई दौड़ और शॉटपुट, 94 की उम्र में स्प्रिंटर दादी ने जीते अंतरराष्ट्रीय मेडल Delhi sprinter Dadi who won medal at age of 94 at World Masters Athletics Championship](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-15812395-140-15812395-1657711607447.jpg)
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रोचक है एथलीट बनने की कहानीः 94 वर्षीय दादी की उपलब्धि जितनी बड़ी है, उसके एथलीट बनने की कहानी भी उतनी ही रोचक है. नजफगढ़ की दादी अपने पोते को खेलते देखती थीं. कई बार वो पोते के साथ खेल के मैदानों में भी जाती थी. पोता कभी दौड़ सीखता था तो कभी शॉटपुट में हाथ आजमाता था. भगवानी ने बताया कि एक बार स्कूल के खेल के मैदान में पोते के साथ गईं थीं. पोता खेलने में व्यस्त था, तभी उनकी नजर एक गोले (शॉटपुट) पर पड़ी तो उन्होंने उसे बच्चे की तरह ही फेंका. इसके बाद उनकी इसमें रूचि पैदा हो गई और पोते की तरह दौड़ और शॉटपुट का अभ्यास करने लगी और आज उनकी उपलब्धि युवा खिलाड़ियों को भी प्रेरणा दे रही है. यहां तक की वह खिलाड़ियों में भी चर्चित हो गईं और स्थानीय बच्चे-खिलाड़ी उन्हें स्प्रिंटर दादी कहने लगे.
फिनलैंड में 94 की दादी ने जीते गोल्डःस्प्रिंटर दादी ने बताया कि हाल ही में फिनलैंड के टेम्परे में वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप आयोजित हुई थी. इसमें दादी ने हिस्सा लिया था. इसी में दादी ने ऐसा कारनामा किया, जिसने देश का तो नाम रोशन ही किया ही. इस उम्र के बुजुर्गों का भी हौंसला बढ़ाया है और उन्हें हिम्मत दी है. चैंपियनशिप में 94 साल की भगवानी देवी ने 100 मीटर स्प्रिंट रेस में 24.74 सेकेंड में दौड़ पूरी कर गोल्ड मेडल जीता. स्प्रिंटर दादी ने एथलेटिक्स की ही एक अन्य स्पर्धा में भी हिस्सेदारी की. शॉटपुट (गोला फेंक प्रतियोगिता) और डिस्कस थ्रो में भी उन्होंने शानदार खेल दिखाया. इस स्पर्धाओं में स्प्रिंटर दादी ने ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाया.
दादी की सीखःस्प्रिंटर दादी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि स्कूल में अपने पोते को गोला फेंकते और दौड़ते देख दौड़ना और गोला फेंकना शुरू किया था, जो उपलब्धि बन गई. इसलिए मेरी बच्चों को सीख है कि कभी खुद को कमतर न आंके और समय गुजर गया ऐसा न सोचें. देश के युवाओं खास तौर पर लड़कियों के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें खुद को फिट रखते हुए, खेलों में रूचि लेनी चाहिए.