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दिल्ली साहित्य अकादमी पुस्तक मेला : बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं, उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी - साहित्य अकादमी के

दिल्ली में लगे साहित्य अकादमी के पुस्तक मेले (Akademi Book Fair) में दूसरे दिन पुस्तक का लोकार्पण से लेकर साहित्य के वर्तमान परिदृश्य पर विमर्श जैसे कार्यक्रम हुए. बाल कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए. ये मेला 18 नवंबर तक चलेगा. विमर्श के दौरान बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने कहा कि हमें बाल कर्त्तव्यों (duties of children) की ही नहीं, उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी.

बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं, उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी
बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं, उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी

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Published : Nov 13, 2022, 10:00 AM IST

नई दिल्ली :साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित ‘पुस्तकायन’ पुस्तक मेले के दूसरे दिन बाल लेखक से भेंट, पुस्तक लोकार्पण, बाल साहित्य का वर्तमान परिदृश्य पर विमर्श और बाल कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां जैसे कई महत्त्वपूर्ण और रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए. ‘अपने प्रिय लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में वरिष्ठ बाल साहित्यकार दिविक रमेश उपस्थित थे. उन्होंने अपने जीवनसे जुड़ी कई रोचक बातों को साझा करते हुए बाल साहित्य के प्रति अपने लगाव की विस्तार से चर्चा की.

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बच्चों को उपदेश देने की जगह सलाह दें : दिविक रमेश ने बताया कि वह पहले बड़े लोगों के लिए ही लिखा करते थे. लेकिन अपने गुरुओं के कहने पर उन्होंने बाल साहित्य लिखना शुरू किया लेकिन जर्मनी के एक बाल साहित्यकार से मिलने के बाद बाल साहित्य के प्रति उनकी दृष्टि बदली. क्योंकि उस जर्मन लेखक ने उनसे ज़ोर देकर कहा था कि वह बाल साहित्य ‘भी’ नहीं लिखता बल्कि बाल साहित्य ‘ही’ लिखता है.देश-विदेश के कई बाल लेखकों के उदाहरण देते हुए कहा कि हमें केवल बाल कर्त्तव्यों की ही नहीं बल्कि उनके अधिकारों की बात भी करनी होगी. उन्होंने अपने स्वरचित बाल चरित्र ‘लू-लू’ के हवाले से कई बातें साझा करते हुए कहा कि बच्चों को लगातार उपदेश देने की बजाय उन्हें अपना साथी समझकर सलाह देने की कोशिश करें. ज्ञात हो कि इस अवसर पर साहित्य अकादमी की ओर से उनकी पुस्तक ‘लू-लू का आविष्कार’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया. उन्होंने अपनी बाल कविताएं, संस्मरण और छोटी कहानी भी प्रस्तुत की और सवालों के जवाब भी दिए.

यह सत्र भी बाल साहित्य पर रहा :अगला सत्र ‘बाल साहित्य का वर्तमान परिदृश्य’ पर केंद्रित था. इसमें मृणाल चंद्र कलिता (असमिया), कुमुद भीकू नायक (कोंकणी), तरसेम (पंजाबी) एवं हाफ़िज़ कर्नाटकी (उर्दू) ने अपनी-अपनी भाषाओं के बाल साहित्य की चर्चा की. सभी लेखकों ने कहा कि इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से निकलकर बच्चों में पढ़ने की आदत डालने का दायित्व माता-पिता और अध्यापकों का है, जो उन्हें ज़िम्मेदारी समझ निभाना चाहिए. सभी लेखकों ने अपनी-अपनी बाल रचनाएँ भी प्रस्तुत कीं.

आज होगा ये कार्यक्रम: पुस्तक मेले में बच्चों के लिए कहानी-कविता लेखन कार्यशाला एवं कार्टून चित्रांकन कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. 18 नवंबर 2022 तक जारी रहने वाला यह पुस्तक मेला पाठकों के लिए निःशुल्क है और सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहेगा.

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