नई दिल्ली:दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली के दंगों से जुड़े शिव विहार के राजधानी स्कूल के मालिक फैसल फारुख को पुलिस हिरासत पर भेजने से इनकार कर दिया है. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ऋचा परिहार ने कहा कि इस मामले में चार महीने की देरी की गई है जबकि जांच अधिकारी को घटना के पहले दिन से उसकी जानकारी थी.
दोनों एफआईआर के तथ्य एक हैं
दरअसल पुलिस ने फैसल की चार दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की थी. कोर्ट ने फैसल फारुख को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया और कहा कि पहली और दूसरी एफआईआर में दर्ज तथ्य एक समान हैं. दोनों एफआईआर में घटनाओं की तिथि भी एक ही है. कोर्ट ने कहा कि पहले एफआईआर में दिल्ली पुलिस ने फैसल को तीन दिनों तक ये कहते हुए हिरासत में रखा था कि उसे उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के कुछ इलाकों में लेकर जाना है. एक ही तरह के तथ्यों के मामले में दर्ज एफआईआर के लिए चार महीने की देरी की गई है जबकि दोनों एफआईआर भी एक ही थाने दयालपुर में दर्ज किए गए हैं.
हिरासत की मांग करना कानून का दुरुपयोग
सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि स्कूल के आसपास दंगों के मामले में 76 एफआईआर दर्ज किए गए हैं और दूसरी एफआईआर में दर्ज तथ्य पहले एफआईआर में दर्ज तथ्य से अलग हैं. जांच अधिकारी ने फैसल को जांच के लिए यूपी के देवबंद ले जाये जाने की जरुरत बताई. दिल्ली पुलिस की इस दलील का फैसल के वकील आरके कोचर ने विरोध करते हुए कहा कि पुलिस हिरासत की मांग करना कानून का दुरुपयोग है. एक ही तथ्य के आधार पर दूसरा एफआईआर दर्ज करने के पीछे मंशा ठीक नहीं है. कोचर ने कहा कि फैसल को 22 जून को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उसे पहले एफआईआर में जमानत मिल गई थी.
पहले एफआईआर में जमानत मिली थी
पिछले 20 जून को कड़कड़डूमा कोर्ट ने फैसल फारुख को पहले एफआईआर में जमानत दे दिया था. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने फैसल को जमानत देते हुए कहा था कि चार्जशीट से ये कहीं प्रमाणित नहीं होता है कि आरोपी के पोपुलर फ्रंट, पिंजरा तोड़ या दूसरे मुस्लिम धर्मगुरुओं के संपर्क में था. फैसल को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस हाईकोर्ट पहुंची थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने जमानत के आदेश पर रोक लगाते हुए फैसल को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट में अगली सुनवाई 1 जुलाई को होनी है.