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Ordinance Issue: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने आप को अध्यादेश के मामले पर समर्थन देने का किया विरोध - कांग्रेस ने आप को समर्थन देने का किया विरोध

दिल्ली में फिलहाल केंद्र द्वारा अध्यादेश लाए जाने का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसी क्रम में अब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आप को समर्थन देने का विरोध किया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी को किसी स्थानीय प्रशासन के अधीन नहीं रखा जा सकता है.

Delhi Pradesh Congress opposes support to AAP
Delhi Pradesh Congress opposes support to AAP

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Published : May 29, 2023, 1:22 PM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी को अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं द्वारा बैठक की गई, जिसमें प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिए जाने का एक सुर में विरोध किया है. उनका कहना है कि पार्टी से किसी भी तरह का गठबंधन गलत होगा. इस मुद्दे पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करेगी.

दरअसल दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ, विपक्षी दल भले ही एकजुट हो रहे हैं. लेकिन इस मामले में कांग्रेस के नेता, आम आदमी पार्टी को अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन देने के मूड में नहीं हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे अजय माकन और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र व पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने कहा है कि कांग्रेस को किसी भी सूरत में आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करना चाहिए. हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यह मानते हैं कि अध्यादेश लाकर संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की गई है.

कांग्रेस नेता अजय माकन का कहना है कि इसपर आम आदमी पार्टी का समर्थन करना ठीक नहीं होगा, जिसके दो मुख्य कारण हैं. पहला कि अरविंद केजरीवाल का समर्थन कर के हम अपने अनेक सम्मानित नेताओं का अपमान करेंगे. साथ ही यदि यह अध्यादेश पारित नहीं होता है, तो केजरीवाल को एक अद्वितीय विशेषाधिकार प्राप्त होगा, जिससे शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे पूर्व के मुख्यमंत्रियों को वंचित रहना पड़ा था. उन्होंने अध्यादेश का विरोध करने के खिलाफ प्रस्तुत किए जा रहे प्रशासनिक, राजनीतिक और कानूनी दृष्टिकोणों पर विचार करने को जरूरी बताया.

वहीं इस मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि मूल रूप से सहकारी संघवाद के सिद्धांत दिल्ली के संदर्भ में सुसंगत नहीं हैं. यह मात्र एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश नहीं है, यह राष्ट्रीय राजधानी है. यह संघ का हिस्सा है और इस प्रकार यह प्रत्येक भारतीय नागरिक का है. दिल्ली के निवासी इस स्थिति से लाभान्वित होते हैं. राष्ट्रीय राजधानी के रूप में, केंद्र सरकार यहां सालाना विभिन्न सेवाओं पर लगभग 37,500 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिस वित्तीय बोझ को दिल्ली सरकार द्वारा साझा नहीं किया जाता है. दिल्ली में प्रशासन के जटिल मुद्दों पर विचार करते हुए, बाबासाहेब अंबेडकर के नेतृत्व में गठित एक समिति ने 21 अक्टूबर, 1947 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

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दिल्ली के विशेष संदर्भ में, इस रिपोर्ट में कहा गया कि जहां तक दिल्ली का सवाल है, हमें ऐसा लगता है कि भारत की राजधानी को शायद ही किसी स्थानीय प्रशासन के अधीन रखा जा सकता है. संयुक्त राज्य अमेरिका में, कांग्रेस 'सत्ता के केंद्र' के संबंध में विशिष्ट विधायी शक्तियों का प्रयोग करती है और ऑस्ट्रेलिया में भी यही प्रक्रिया अपनाई जाती है. समिति की रिपोर्ट में इन पूर्व उदाहरणों से हटने के कोई पर्याप्त कारण दिखाई नहीं देते हैं. इसलिए, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस संदर्भ में कुछ अलग योजना अपेक्षित है. हमने मसौदे में प्रस्ताव दिया है कि इन केंद्रीय क्षेत्रों को भारत सरकार द्वारा या तो मुख्य आयुक्त या उप-राज्यपाल या राज्यपाल या पड़ोसी राज्य के प्रशासक के माध्यम से प्रशासित किया जा सकता है.

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